Morgan Stanley की भविष्यवाणी: 2026 में सेंसेक्स 1 लाख के पार पहुंच सकता है

Morgan Stanley ने भारतीय शेयर बाजार के लिए एक महत्वपूर्ण भविष्यवाणी की है, जिसमें कहा गया है कि 2026 के अंत तक सेंसेक्स 1,07,000 तक पहुंच सकता है। इस रिपोर्ट में निवेशकों को उत्साहित करने वाले कई आर्थिक कारकों का उल्लेख किया गया है, जैसे कच्चे तेल की कीमतें, वैश्विक व्यापार की स्थिति, और देश की आर्थिक नीतियाँ। इसके अलावा, संभावित 'बेस-केस' परिदृश्य में सेंसेक्स 95,000 तक पहुंचने की संभावना है। जानें इस रिपोर्ट में और क्या कहा गया है और निवेशकों के लिए क्या अवसर हैं।
 | 
Morgan Stanley की भविष्यवाणी: 2026 में सेंसेक्स 1 लाख के पार पहुंच सकता है

Morgan Stanley की भविष्यवाणी

Morgan Stanley की भविष्यवाणी: 2026 में सेंसेक्स 1 लाख के पार पहुंच सकता है

Sensex को लेकर Morgan Stanley ने किया बड़ा दावा

Sensex लक्ष्य 2026: विश्व प्रसिद्ध ब्रोकरेज फर्म Morgan Stanley ने भारतीय शेयर बाजार के लिए एक महत्वपूर्ण भविष्यवाणी की है, जिसने निवेशकों में उत्साह का संचार किया है। रिपोर्ट के अनुसार, 2026 के दिसंबर तक सेंसेक्स 1,07,000 (एक लाख सात हजार) के स्तर को छू सकता है। यह भविष्यवाणी दर्शाती है कि भारतीय बाजार अपनी पुरानी गति को पुनः प्राप्त करने की दिशा में अग्रसर है। Morgan Stanley की हालिया ‘स्ट्रैटेजी आउटलुक रिपोर्ट’ में यह आशा व्यक्त की गई है। उनका मानना है कि यदि देश की आर्थिक नीतियाँ और वैश्विक परिस्थितियाँ अनुकूल रहती हैं, तो हमारा बेंचमार्क इंडेक्स मौजूदा स्तर से लगभग 27 प्रतिशत की वृद्धि कर सकता है।

1,07,000 का ‘बुल केस’ क्या है?

Morgan Stanley ने अपने इस महत्वाकांक्षी लक्ष्य, जिसे ‘बुल केस’ कहा जाता है, के लिए 30 प्रतिशत की संभावना जताई है। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए कुछ महत्वपूर्ण आर्थिक कारकों का एक साथ काम करना आवश्यक है।

  1. पहली शर्त यह है कि कच्चे तेल की कीमतें $65 प्रति बैरल से नीचे बनी रहें।
  2. दूसरी, वैश्विक व्यापार युद्ध में नरमी आए और टैरिफ नीतियों में बदलाव हो।
  3. तीसरी और सबसे महत्वपूर्ण बात, देश में तेज़ी लाने वाली नीतियाँ (Reflationary Policies) लगातार जारी रहें और अर्थव्यवस्था की वृद्धि बनी रहे।

यदि ये सभी कारक सही दिशा में चलते हैं, तो Morgan Stanley का अनुमान है कि 2025 से 2028 के बीच सेंसेक्स में शामिल कंपनियों की कमाई सालाना 19 प्रतिशत की दर से बढ़ेगी, जो बाजार को मजबूत समर्थन प्रदान करेगी।

आपका निवेश कैसे बढ़ेगा?

केवल बुल केस ही नहीं, Morgan Stanley ने संभावित ‘बेस-केस’ के लिए भी एक सकारात्मक लक्ष्य निर्धारित किया है। इस बेस-केस को 50 प्रतिशत की संभावना दी गई है। इसके अनुसार, ब्रोकरेज फर्म का मानना है कि 2026 के अंत तक सेंसेक्स 95,000 के स्तर पर पहुंच जाएगा, जो मौजूदा स्तर से लगभग 13 प्रतिशत अधिक है। इस परिदृश्य में, देश में आर्थिक स्थिरता बनी रहेगी, सरकार राजकोषीय घाटे को नियंत्रण में रखेगी, निजी क्षेत्र का निवेश बढ़ेगा और वैश्विक विकास दर भी स्थिर रहेगी।

ये भी पढ़ें- नहीं थम रही Groww की रफ्तार, 4 दिन में 94% का भारी भरकम कराया मुनाफा

इसमें यह भी शामिल है कि RBI जल्द ही ब्याज दरें घटाकर बाजार में नकदी (Liquidity) बढ़ाएगा। इस बेस-केस में भी कंपनियों की कमाई 17 प्रतिशत की सालाना दर से बढ़ने का अनुमान है। वहीं, एक निराशावादी ‘बीयर केस’ भी है, जहां अगर तेल की कीमतें $100 से ऊपर चली जाती हैं या बाजार में कड़ा रुख अपनाया जाता है, तो सेंसेक्स 76,000 तक गिर सकता है।

भारत में आई ‘नीतिगत क्रांति’ बनी तेज़ी की वजह

Morgan Stanley के विश्लेषक, जिनकी टीम रिधम देसाई और नयंत पारेख संभाल रहे हैं, इस बड़े बदलाव का कारण भारत की नई और मजबूत नीतियों को बता रहे हैं। उनका कहना है कि पिछले 31 वर्षों में उभरते बाजारों (Emerging Markets) की तुलना में भारतीय शेयर बाजार का प्रदर्शन सबसे खराब रहा था, लेकिन अब यह दौर समाप्त होने वाला है और भारत फिर से अपनी चमक हासिल करेगा। देसाई ने स्पष्ट किया है कि नीतिगत बदलावों से नाममात्र की वृद्धि में एक जोरदार सुधार आएगा, जो पिछले 12 महीनों में देखी गई कमाई में आई मंदी को दूर करेगा। वे यह भी बताते हैं कि विदेशी निवेशकों (FPI) का भारतीय बाजार में निवेश अभी तक के सबसे निचले स्तर पर है, जो भविष्य में बड़े निवेश का संकेत देता है। इसके अलावा, ब्याज दरों में संभावित कटौती और उपभोग को बढ़ावा देने के लिए GST दरों में कमी जैसे कदम तेजी को और गति देंगे।

इन सेक्टरों पर है सबसे बड़ा दांव

अपनी पोर्टफोलियो रणनीति में, Morgan Stanley ने उन क्षेत्रों को चुना है जो घरेलू मांग और तेजी से जुड़े हैं। फर्म ने फाइनेंशियल (बैंक आदि), कंज्यूमर डिस्क्रिशनरी (गाड़ी, कपड़े जैसी गैर-जरूरी चीजें बनाने वाली कंपनियां) और इंडस्ट्रियल (बुनियादी ढांचा और उद्योग से जुड़ी कंपनियाँ) को ‘ओवरवेट’ यानी ज्यादा महत्व दिया है। वहीं, एनर्जी, मैटेरियल्स, यूटिलिटीज और हेल्थकेयर जैसे क्षेत्रों को कम प्राथमिकता दी गई है। उनका स्पष्ट मानना है कि आने वाले समय में बाजार को केवल बड़े आर्थिक कारक (Macro Factors) ही चलाएंगे, ऐसे में स्टॉक चुनने की बजाय सही सेक्टर चुनना ज्यादा लाभकारी होगा.