FATF रिपोर्ट: पुलवामा हमले में ई-कॉमर्स का दुरुपयोग
फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) की हालिया रिपोर्ट ने पुलवामा हमले में ई-कॉमर्स के दुरुपयोग का गंभीर खुलासा किया है। रिपोर्ट में बताया गया है कि आतंकवादियों ने अमेज़न जैसे प्लेटफॉर्म से विस्फोटक सामग्री खरीदी। यह घटना न केवल आतंकवाद के नए तरीकों को उजागर करती है, बल्कि सुरक्षा एजेंसियों के लिए भी नई चुनौतियाँ पेश करती है। भारत को अब अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अधिक जवाबदेही की मांग करनी चाहिए।
Jul 9, 2025, 12:52 IST
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FATF की रिपोर्ट का खुलासा
फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) द्वारा जारी की गई हालिया रिपोर्ट ने आतंकवाद के वित्तपोषण और तकनीकी संसाधनों के दुरुपयोग के संबंध में गंभीर जानकारी प्रस्तुत की है। रिपोर्ट में बताया गया है कि 14 फरवरी 2019 को जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में हुए आत्मघाती हमले में इस्तेमाल की गई विस्फोटक सामग्री को ऑनलाइन प्लेटफॉर्म अमेज़न से खरीदा गया था। यह जानकारी आतंकियों की डिजिटल पहुंच और नेटवर्किंग को उजागर करती है, साथ ही वैश्विक ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स की निगरानी पर भी सवाल उठाती है।
जैश-ए-मोहम्मद की नई रणनीति
एफएटीएफ की रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने पुलवामा हमले को अंजाम देने के लिए एक नई रणनीति अपनाई थी। उन्होंने ई-कॉमर्स साइट्स के माध्यम से विस्फोटक सामग्री, जैसे कि केमिकल्स और इलेक्ट्रॉनिक डिटोनेटर, मंगवाए। रिपोर्ट में कहा गया है कि अमेज़न जैसे अंतरराष्ट्रीय ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स का उपयोग इस आतंकवादी योजना में किया गया। यह दर्शाता है कि आतंकवादी अब पारंपरिक तरीकों से हटकर डिजिटल और ऑनलाइन माध्यमों का उपयोग कर सुरक्षा एजेंसियों को चकमा देने की कोशिश कर रहे हैं।
पुलवामा हमले की याद
14 फरवरी 2019 को पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर हुआ आत्मघाती हमला भारतीय इतिहास के सबसे दर्दनाक आतंकवादी हमलों में से एक था। इस हमले में 40 से अधिक जवान शहीद हुए थे। हमलावर आदिल अहमद डार ने विस्फोटकों से भरी कार को सीआरपीएफ के बस से टकरा दिया था। तब से इस हमले की जांच कई एजेंसियों द्वारा की जा रही है, लेकिन एफएटीएफ की यह रिपोर्ट आतंकवाद के पीछे की जटिल डिजिटल परतों को उजागर करती है।
वैश्विक कंपनियों के लिए चेतावनी
एफएटीएफ की रिपोर्ट वैश्विक कंपनियों के लिए एक चेतावनी है कि उनके प्लेटफॉर्म्स का दुरुपयोग आतंकवाद के लिए किया जा सकता है। अमेज़न जैसी कंपनियों को अब यह सुनिश्चित करना होगा कि उनके प्लेटफॉर्म पर होने वाले ट्रांज़ेक्शन्स की स्क्रीनिंग और निगरानी और भी सख्त हो। इसके लिए उन्हें न केवल खरीददारों की पहचान की जांच करनी चाहिए, बल्कि संदिग्ध उत्पादों की बिक्री पर भी निगरानी रखनी चाहिए, ताकि किसी भी तरह की विस्फोटक सामग्री या उसके घटक आसानी से उपलब्ध न हो सकें।
भारत की अंतरराष्ट्रीय मांग
भारत लंबे समय से अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान के आतंकवाद समर्थक रुख की ओर ध्यान आकर्षित करता रहा है। अब जब एफएटीएफ जैसी संस्था ने यह स्पष्ट किया है कि आतंकवादियों ने वैश्विक ई-कॉमर्स का उपयोग किया है, भारत को अब अंतरराष्ट्रीय तकनीकी मंचों से अधिक जवाबदेही की मांग करनी चाहिए। यह घटना यह भी दर्शाती है कि आतंकवाद से लड़ाई अब केवल सीमा पार कार्रवाई तक सीमित नहीं रह गई है, बल्कि यह साइबर और डिजिटल सुरक्षा का भी विषय बन चुकी है।
आतंकवाद का नया रूप
एफएटीएफ की रिपोर्ट ने यह स्पष्ट कर दिया है कि आतंकवाद लगातार अपने रूप और साधन बदल रहा है। पुलवामा हमले में अमेज़न से विस्फोटक सामग्री मंगवाना इस बात का प्रतीक है कि डिजिटल युग में आतंकवाद एक नई दिशा ले चुका है। इसलिए, केवल सैन्य और खुफिया उपाय ही नहीं, बल्कि डिजिटल निगरानी, कानूनी बदलाव और अंतरराष्ट्रीय सहयोग भी आवश्यक हो गया है। सरकारों, तकनीकी कंपनियों और सुरक्षा एजेंसियों को मिलकर यह सुनिश्चित करना होगा कि डिजिटल माध्यम आतंक का हथियार न बनने पाए।