2025 में IPO मार्केट में नया बदलाव: बड़े इश्यू बन रहे हैं निवेशकों की पसंद

2025 में भारत के IPO मार्केट में एक नया ट्रेंड उभर रहा है, जहां बड़े और मेगा IPO छोटे इश्यू की तुलना में बेहतर रिटर्न दे रहे हैं। रिटेल निवेशक अब छोटे इश्यू की बजाय बड़े और प्रतिष्ठित इश्यू में निवेश करने लगे हैं। इस बदलाव के पीछे संस्थागत निवेशकों की बढ़ती भागीदारी और प्राइसिंग डिसिप्लिन जैसे कारक हैं। क्या यह ट्रेंड स्थायी रहेगा? जानें इस लेख में।
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2025 में IPO मार्केट में नया बदलाव: बड़े इश्यू बन रहे हैं निवेशकों की पसंद

IPO मार्केट में नया ट्रेंड

2025 में IPO मार्केट में नया बदलाव: बड़े इश्यू बन रहे हैं निवेशकों की पसंद

IPO मार्केट में नया ट्रेंड.

भारत का IPO मार्केट 2025 में महत्वपूर्ण बदलाव की ओर बढ़ रहा है। पहले रिटेल निवेशकों का मानना था कि छोटे IPO में जल्दी मुनाफा कमाना आसान होता है, लेकिन इस साल के आंकड़े इस धारणा को चुनौती दे रहे हैं। बड़े और मेगा IPO, जिनका आकार ₹5,000 करोड़ या उससे अधिक है, छोटे इश्यू की तुलना में लगभग तीन गुना अधिक रिटर्न प्रदान कर रहे हैं।

बड़े IPO पर बढ़ता विश्वास

एक रिपोर्ट के अनुसार, प्राइम डेटाबेस के आंकड़ों से पता चलता है कि ₹5,000 करोड़ से अधिक के IPO ने औसतन 22% लिस्टिंग-डे लाभ दिया है, जबकि ₹1,000 करोड़ से छोटे IPO ने केवल 7.5% का लाभ अर्जित किया। यह स्पष्ट है कि निवेशक अब बड़े और प्रतिष्ठित इश्यू की ओर आकर्षित हो रहे हैं। LG इलेक्ट्रॉनिक्स इंडिया, Meesho, Groww और HDB Financial जैसे कंपनियों के IPO ने यह साबित किया है कि स्केल और ब्रांड वैल्यू लिस्टिंग में मजबूती लाते हैं।

छोटे IPO का प्रदर्शन कमजोर

छोटे इश्यू इस बदलाव में पीछे रह गए हैं। इस वर्ष सबसे खराब प्रदर्शन करने वाले IPO सभी ₹1,000 करोड़ से छोटे रहे। उदाहरण के लिए, जिंकुशाल इंडस्ट्रीज का IPO 116.5 करोड़ का था, जो लिस्टिंग-डे पर केवल 0.5% बढ़ा। वहीं, ओम फ्रेट फॉरवर्डर्स का 122 करोड़ का IPO लगभग 36% गिर गया।

संस्थानिक निवेशकों की बढ़ती भागीदारी

बड़े IPO में मजबूत एंकर और संस्थागत भागीदारी एक महत्वपूर्ण कारण है। निवेशकों को विश्वास होता है कि प्राइस डिस्कवरी सही होगी और लिस्टिंग के बाद स्टॉक स्थिर रहेगा। Groww के IPO में 57% FII होल्डिंग और LG Electronics में FII+DII की लगभग 7.5% होल्डिंग ने यह दिखाया है कि बड़े इश्यू में लिक्विडिटी और ट्रेडिंग क्वालिटी बेहतर होती है।

OFS का प्रभाव कम हुआ

पहले ऑफर-फॉर-सेल (OFS) को निवेशक नकारात्मक रूप से देखते थे, लेकिन 2025 में OFS वाले 10 में से 9 IPO ने सकारात्मक लिस्टिंग लाभ दिया। इसका मतलब यह है कि प्रमोटर एग्जिट अब निवेशकों के लिए चिंता का विषय नहीं है।

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प्राइसिंग और गुणवत्ता का महत्व

बड़े IPO में प्राइसिंग डिसिप्लिन और बिजनेस क्वालिटी भी बेहतर होती है। बड़े इश्यूअर को बैंकर, रेगुलेटर और संस्थागत निवेशकों की कड़ी निगरानी में लाया जाता है, जिससे आक्रामक मूल्यांकन मुश्किल होता है। इसका लाभ निवेशकों को लिस्टिंग-डे पर मिलता है।

क्या यह ट्रेंड स्थायी रहेगा?

बाजार विशेषज्ञों का मानना है कि 2025 में मेगा IPO का ट्रेंड केवल सेंटिमेंट का परिणाम नहीं है, बल्कि यह निवेशक व्यवहार में बदलाव को दर्शाता है। रिटेल निवेशक अब शॉर्ट-टर्म मुनाफा देखने के बजाय स्थिर, बड़े और लिक्विड इश्यू में निवेश कर रहे हैं। हालांकि, कुछ विश्लेषक सावधानी बरतते हैं और कहते हैं कि सभी बड़े IPO सही नहीं होते, इसलिए निवेश से पहले उचित रिसर्च आवश्यक है।