2025 के नए रेंट एग्रीमेंट नियम: किरायेदारों और मकान मालिकों के लिए महत्वपूर्ण बदलाव

2025 के नए रेंट एग्रीमेंट नियमों में कई महत्वपूर्ण बदलाव किए गए हैं, जो किरायेदारों और मकान मालिकों दोनों के लिए फायदेमंद हैं। नए नियमों के तहत रेंट एग्रीमेंट का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य किया गया है, और किरायेदारों को सिक्योरिटी डिपॉजिट की सीमा में राहत दी गई है। इसके अलावा, मकान मालिकों के लिए भी टैक्स में छूट और विवादों के त्वरित निपटारे के लिए विशेष अदालतें बनाई गई हैं। जानें इन नए नियमों के बारे में विस्तार से।
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2025 के नए रेंट एग्रीमेंट नियम: किरायेदारों और मकान मालिकों के लिए महत्वपूर्ण बदलाव

किराए पर रहने की नई सुविधाएं

2025 के नए रेंट एग्रीमेंट नियम: किरायेदारों और मकान मालिकों के लिए महत्वपूर्ण बदलाव

किराये पर रहना हुआ आसान

नए रेंट एग्रीमेंट 2025: रोज़ी-रोटी की तलाश में लोग अपने घरों को छोड़कर अन्य शहरों में किराए पर रहने के लिए मजबूर हो रहे हैं। चाहे शिक्षा हो या नौकरी, एक बड़ा वर्ग किराए के मकानों पर निर्भर है। इस बढ़ती संख्या के साथ मकान मालिकों और किरायेदारों के बीच विवाद भी बढ़ गए हैं। कभी डिपॉजिट वापस न मिलने की शिकायतें, तो कभी बिना सूचना के घर खाली करने की मांग। ये सभी समस्याएं अब एक नए नियम के तहत सुलझाई जाएंगी। सरकार ने 'न्यू रेंट एग्रीमेंट 2025' के तहत नए नियम लागू किए हैं, जो मॉडल टेनेंसी एक्ट (MTA) और हालिया बजट प्रावधानों पर आधारित हैं।

1. रेंट एग्रीमेंट रजिस्ट्रेशन में देरी पर जुर्माना

पहले कई लोग रेंट एग्रीमेंट बनवाने के बाद उसे रजिस्टर कराने में लापरवाह रहते थे। नए नियमों ने इस ढिलाई को समाप्त कर दिया है। अब एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर होने के दो महीने के भीतर उसका रजिस्ट्रेशन अनिवार्य है। सरकार का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि हर किराएदारी का एक कानूनी रिकॉर्ड हो। आप यह रजिस्ट्रेशन राज्य की ऑनलाइन प्रॉपर्टी वेबसाइट पर या नजदीकी रजिस्ट्रार ऑफिस में जाकर करवा सकते हैं। यदि समय सीमा के भीतर एग्रीमेंट रजिस्टर नहीं हुआ, तो 5,000 रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है। यह नियम मकान मालिक और किरायेदार दोनों को जिम्मेदार बनाता है, ताकि भविष्य में किसी भी कानूनी विवाद से बचा जा सके।

2. किरायेदारों को राहत

किराए पर रहने वालों के लिए सबसे बड़ी समस्या सिक्योरिटी डिपॉजिट और अचानक घर खाली करने का दबाव होता था। नए नियमों ने इस मामले में एक बड़ा सुरक्षा कवच प्रदान किया है।

  1. सिक्योरिटी डिपॉजिट की सीमा: अब रिहायशी प्रॉपर्टी के लिए मकान मालिक अधिकतम दो महीने के किराए के बराबर ही सिक्योरिटी डिपॉजिट ले सकते हैं। वहीं, कमर्शियल प्रॉपर्टी के लिए यह सीमा छह महीने तक है। इससे किरायेदारों पर एकमुश्त भारी रकम जमा करने का बोझ कम होगा।
  2. बेदखली के नियम: अब कोई भी मकान मालिक बिना उचित नोटिस दिए या प्रक्रिया का पालन किए किराएदार को घर से नहीं निकाल सकता।
  3. किराया बढ़ोतरी: मकान मालिक अब अपनी मर्जी से किराया नहीं बढ़ा सकेंगे। किराए में बढ़ोतरी के लिए पहले से नोटिस देना अनिवार्य होगा और यह एग्रीमेंट की शर्तों के अनुसार ही होगा।

3. मकान मालिकों के लिए भी फायदे

ये नियम केवल किरायेदारों के लिए नहीं हैं; मकान मालिकों के हितों का भी ध्यान रखा गया है। सरकार ने रेंटल हाउसिंग सेक्टर को बढ़ावा देने के लिए कई आकर्षक प्रावधान जोड़े हैं।

  1. TDS में राहत: मकान मालिकों के लिए सबसे अच्छी खबर यह है कि TDS कटौती की सीमा जो पहले 2.4 लाख रुपये सालाना थी, अब बढ़ाकर 6 लाख रुपये सालाना कर दी गई है। इसका मतलब है कि अब ज्यादा कमाई पर भी TDS नहीं कटेगा, जिससे मकान मालिकों के हाथ में ज्यादा पैसा आएगा।
  2. विवादों का त्वरित निपटारा: किराएदारी के विवाद अक्सर अदालतों में सालों-साल खिंचते हैं। इसके समाधान के लिए अब स्पेशल 'रेंट कोर्ट्स' और ट्रिब्यूनल्स बनाए गए हैं। यहाँ लक्ष्य रखा गया है कि किसी भी विवाद का निपटारा 60 दिनों के अंदर किया जाए।
  3. किराया न मिलने पर सुरक्षा: यदि कोई किराएदार तीन महीने या उससे अधिक समय तक किराया नहीं देता है, तो रेंट ट्रिब्यूनल के जरिए मकान मालिक को त्वरित न्याय मिलेगा और बेदखली की प्रक्रिया आसान होगी।