भारत में पाम तेल का बढ़ता प्रभाव: स्वास्थ्य पर पड़ने वाले दुष्प्रभाव

पामोलिन तेल का बढ़ता उपयोग
भारत के तेल बाजार में विदेशी तेलों की बिक्री में तेजी आई है। मलेशिया से आने वाला पामोलिन तेल, जिसे हम पाम तेल के नाम से जानते हैं, अब भारत में सबसे अधिक मात्रा में बिक रहा है।
किसान सरसों का तेल 40 रुपये प्रति लीटर, नारियल का तेल 60 रुपये प्रति लीटर और तिल का तेल 90 रुपये प्रति लीटर बेचते हैं, जबकि पाम तेल केवल 20-22 रुपये प्रति लीटर मिलता है। इस कारण, उद्योगपति बड़ी मात्रा में पाम तेल का आयात कर रहे हैं और इसे अन्य तेलों में मिलाकर बेच रहे हैं।
आपको जानकर आश्चर्य होगा कि 4-5 साल पहले भारत में पाम तेल को अन्य तेलों में मिलाकर बेचना अवैध था, लेकिन अब WTO के दबाव में यह संभव हो गया है।
स्वास्थ्य पर प्रभाव
पाम तेल के दुष्प्रभाव:
1. किसानों को नुकसान: सरसों, नारियल और तिल के उत्पादकों को उचित मूल्य नहीं मिल रहा।
2. स्वास्थ्य समस्याएं: पाम तेल में ट्रांस फैट्स की अधिकता होती है, जो शरीर में नहीं घुलते और हृदय रोग का कारण बनते हैं।
क्या आपने कभी सोचा है कि जिस रिफाइंड तेल से आप अपने बच्चों की मालिश नहीं कर सकते, उसे आप कैसे खा लेते हैं? पिछले 20-25 वर्षों में रिफाइंड तेल का प्रचलन बढ़ा है।
कुछ विदेशी और भारतीय कंपनियाँ इस व्यवसाय में लगी हुई हैं। उन्होंने टेलीविजन और डॉक्टरों के माध्यम से प्रचार किया है।
रिफाइंड तेल की प्रक्रिया
रिफाइंड तेल बनाने में 6 से 7 रासायनिक तत्वों का उपयोग होता है। डबल रिफाइंड में यह संख्या 12-13 तक पहुँच जाती है। ये सभी रसायन मानव निर्मित होते हैं।
रिफाइंड तेल का चिपचिपापन और गंध उसके प्रोटीन सामग्री से जुड़ा होता है। जब इन तत्वों को हटाया जाता है, तो तेल की पौष्टिकता कम हो जाती है।
रिफाइंड तेल का सेवन करने से कई स्वास्थ्य समस्याएँ हो सकती हैं, जैसे हृदय रोग, पैरालिसिस, और अन्य गंभीर बीमारियाँ।
निष्कर्ष
भारत में पाम तेल की बिक्री में वृद्धि हो रही है, और यह अन्य तेलों में मिलाकर बेचा जा रहा है। शोध बताते हैं कि पाम तेल में ट्रांस फैट्स की अधिकता होती है, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।
इसलिए, शुद्ध तेल जैसे सरसों, मूंगफली, या नारियल का उपयोग करना बेहतर है।