रेलवे स्टेशनों पर KFC और McDonald's का नया स्वाद: यात्रियों के लिए बड़ा बदलाव

भारतीय रेलवे ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है, जिसके तहत बड़े रेलवे स्टेशनों पर KFC, McDonald's और अन्य ब्रांड्स के आउटलेट्स खोले जाएंगे। यह कदम यात्रियों के लिए खाने की गुणवत्ता में सुधार लाने के उद्देश्य से उठाया गया है। रेलवे ने ई-ऑक्शन के माध्यम से स्टॉल आवंटन की प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने का भी निर्णय लिया है। जानें इस नई व्यवस्था के बारे में और कैसे यह आपके यात्रा अनुभव को बेहतर बनाएगी।
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रेलवे स्टेशनों पर KFC और McDonald's का नया स्वाद: यात्रियों के लिए बड़ा बदलाव

रेलवे स्टेशनों पर नए फूड आउटलेट्स का आगाज़

रेलवे स्टेशनों पर KFC और McDonald's का नया स्वाद: यात्रियों के लिए बड़ा बदलाव

रेलवे स्टेशनों पर जल्द खुलेंगे KFC- McDonald’s


यदि आप उन यात्रियों में से हैं जो ट्रेन यात्रा के दौरान स्टेशन पर मिलने वाले खाने की गुणवत्ता से निराश रहते हैं, तो यह खबर आपके लिए खुशी का कारण बन सकती है। भारतीय रेलवे ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है, जो देश के कैटरिंग सिस्टम में बदलाव लाएगा। अब आपको बड़े रेलवे स्टेशनों पर केएफसी, मैक्डोनाल्ड्स, पिज्जा हट जैसे अंतरराष्ट्रीय ब्रांडों के साथ-साथ हल्दीराम और बिकानेरवाला जैसे स्थानीय ब्रांड्स के आउटलेट्स भी देखने को मिलेंगे।


इस कदम का उद्देश्य केवल स्टेशनों का पुनर्विकास नहीं है, बल्कि यात्रा को और अधिक आरामदायक और आधुनिक बनाना भी है। इस नई व्यवस्था से देशभर के 1200 से अधिक स्टेशनों पर खाद्य विकल्पों की गुणवत्ता और संख्या में सुधार होगा। विशेष रूप से दिल्ली, मुंबई और अहमदाबाद जैसे बड़े शहरों के स्टेशनों पर यह बदलाव सबसे पहले लागू होगा। यात्रियों को अब साफ-सुथरा, विश्वसनीय और ब्रांडेड भोजन मिलेगा, जिससे खाने की चिंता समाप्त हो जाएगी।


ई-ऑक्शन के माध्यम से स्टॉल आवंटन

रेलवे बोर्ड ने इस बदलाव में पारदर्शिता को प्राथमिकता दी है। अक्सर, स्टेशन की प्रमुख लोकेशन पर स्टॉल आवंटन को लेकर विवाद होते रहे हैं। इन विवादों को समाप्त करने के लिए, रेलवे ने एक सख्त नियम लागू किया है: प्रीमियम ब्रांड स्टॉल अब नामांकन के आधार पर नहीं दिए जाएंगे।


इसका मतलब है कि न तो सिफारिशें मान्य होंगी और न ही कोई अन्य तरीका। सभी उच्च मूल्य वाले आउटलेट्स का आवंटन केवल ई-ऑक्शन के माध्यम से किया जाएगा। यह सुनिश्चित करेगा कि रेलवे को अधिकतम राजस्व प्राप्त हो और योग्य ब्रांड को स्टेशन पर आने का अवसर मिले। प्रत्येक आउटलेट को 5 साल का संचालन कार्यकाल दिया जाएगा। नई नीति में यह भी स्पष्ट किया गया है कि सिंगल-ब्रांड, कंपनी-ओन्ड या फ्रेंचाइजी मॉडल के तहत आउटलेट तभी खोले जाएंगे जब स्टेशन पर उनकी आवश्यकता और पर्याप्त स्थान साबित हो जाए।


भीड़भाड़ वाले स्टेशनों पर प्राथमिकता

रेलवे अधिकारियों का कहना है कि यह बदलाव चरणबद्ध तरीके से लागू किया जाएगा। शुरुआत उन स्टेशनों से होगी जहां यात्रियों की संख्या अधिक है और जहां ब्रांडेड आउटलेट्स की मांग लंबे समय से की जा रही थी। जोनल रेलवे अपने स्तर पर यह आकलन करेंगे कि किस स्टेशन पर कितनी जगह उपलब्ध है और यात्रियों की भीड़ कितनी है।


जोनल रेलवे को यह जिम्मेदारी दी गई है कि वे अपने क्षेत्र के अनुसार विशेष नियम और कॉन्ट्रैक्ट्स तैयार करें ताकि इन प्रीमियम आउटलेट्स का संचालन बिना किसी बाधा के शुरू हो सके। हालांकि, मौजूदा आरक्षण नीति पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। एससी, एसटी, ओबीसी, स्वतंत्रता सेनानियों और विस्थापितों के लिए आरक्षित स्टॉल कोटे में कोई बदलाव नहीं होगा.