मत्स्य पालन के लिए सितंबर में आवश्यक सुझाव

पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग ने सितंबर में मत्स्य पालन के लिए महत्वपूर्ण सुझाव जारी किए हैं। इसमें स्पॉन उत्पादन बंद करने, पूरक आहार प्रबंधन, तालाब के हरे पानी की समस्या का समाधान और संक्रमण से बचाव के उपाय शामिल हैं। जानें कैसे इन सुझावों का पालन करके आप अपने मत्स्य पालन को सफल बना सकते हैं।
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मत्स्य पालन के लिए सितंबर में आवश्यक सुझाव

सितंबर में मत्स्य पालन के लिए महत्वपूर्ण निर्देश

पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग ने मत्स्य पालकों के लिए सितंबर में ध्यान देने योग्य महत्वपूर्ण सुझाव जारी किए हैं। इस सलाह में बताया गया है कि मत्स्य बीज उत्पादकों को सितंबर के पहले सप्ताह के बाद स्पॉन उत्पादन बंद कर देना चाहिए। पंगेशियस मछली के पालन में लगे कृषकों को पूरक आहार प्रबंधन के तहत मछली के औसत वजन के अनुसार छह महीने की पालन अवधि में क्रमशः 6%, 5%, 4%, 3%, 2%, और 1.5% का अनुपात से आहार देना चाहिए। पहले दो महीनों में 32% प्रोटीन युक्त आहार, अगले दो महीनों में 28% प्रोटीन, पांचवे महीने में 25% और छठे महीने में 20% प्रोटीन युक्त आहार प्राथमिकता से देना चाहिए। यदि इस महीने का तापमान 20 डिग्री सेल्सियस से कम या 36 डिग्री सेल्सियस से अधिक हो, तो पूरक आहार की मात्रा आधी कर देनी चाहिए।


तालाब के हरे पानी की समस्या का समाधान

यदि तालाब का पानी अत्यधिक हरा हो जाता है, तो रासायनिक उर्वरक और चूना का उपयोग एक महीने के लिए बंद कर देना चाहिए। यदि समस्या बनी रहती है, तो दोपहर के समय 800 ग्राम कॉपर सल्फेट या 250 ग्राम एट्राजीन (50%) प्रति एकड़ की दर से 100 लीटर पानी में घोलकर तालाब में छिड़काव करना चाहिए। तालाब में घुलनशील ऑक्सीजन की कमी होने पर 400 ग्राम/एकड़ की दर से ऑक्सीजन बढ़ाने वाली टेबलेट का उपयोग करें। बरसात के मौसम में 15 दिनों के अंतराल पर सूखा छिड़काव करें या सुबह और शाम को चार-चार घंटे एरेटर/एयर ब्लोअर चलाएं।


संक्रमण से बचाव के उपाय

मछली की तेजी से वृद्धि के लिए फीड सप्लीमेंट के रूप में प्रति किलोग्राम पूरक आहार में 10 ग्राम सूक्ष्म खनिज तत्व और 2-5 ग्राम गट प्रोबायोटिक्स को वनस्पति तेल या बाजार में उपलब्ध बाइंडर के साथ 30 एम.एल/किलोग्राम भोजन में मिलाकर प्रतिदिन देना चाहिए। संक्रमण से बचाने के लिए प्रति 15 दिन पर पी.एच. मान के अनुसार 10-15 किलोग्राम प्रति एकड़ की दर से चूना घोलकर छिड़काव करें और महीने में एक बार प्रति एकड़ की दर से 400 ग्राम पोटेशियम परमैग्नेट का उपयोग करें। पारासाईटिक संक्रमण से बचाने के लिए फसल चक्र में दो बार (दो महीने पर) 40 किलोग्राम प्रति एकड़ की दर से नमक का छिड़काव करें और महीने में एक बार प्रति किलोग्राम पूरक आहार में 10 ग्राम नमक मिलाकर मछलियों को खिलाएं।