भारत में FASTAG के स्थान पर GNSS सिस्टम का आगमन: टोल वसूली में बदलाव

भारत में फास्ट टैग सिस्टम को बदलकर GNSS सिस्टम लाने की योजना है, जिससे टोल वसूली में सुधार होगा। नए सिस्टम के तहत, टोल प्लाजा को हटाने और सैटेलाइट आधारित वसूली की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। परीक्षण बेंगलुरु-मैसूर और पानीपत-हिसार हाईवे पर चल रहा है। जानें इस नए सिस्टम के लाभ और कार्यप्रणाली के बारे में।
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भारत में FASTAG के स्थान पर GNSS सिस्टम का आगमन: टोल वसूली में बदलाव

भारत में नया टोल वसूली सिस्टम


भारत में, फास्ट टैग सिस्टम को अब एक नए GNSS सिस्टम से बदलने की योजना बनाई जा रही है। पहले, वाहन चालकों को टोल टैक्स के लिए फास्ट टैग लगवाना अनिवार्य था, लेकिन अब यह नया सिस्टम लागू किया जाएगा।


नए सिस्टम के लाभों की चर्चा की जा रही है, जिसमें यह दावा किया गया है कि टोल प्लाजा पर वाहनों को पार करने में समय कम लगेगा। जब फास्ट टैग पहली बार शुरू हुआ था, तब यह कहा गया था कि इससे टोल भुगतान में आसानी होगी और समय की बचत होगी।


हालांकि, वास्तविकता यह है कि टोल प्लाजा पर लंबी कतारें अब भी आम हैं। कई बार तकनीकी समस्याओं के कारण वाहनों को टोल प्लाजा पार करने में 10 से 15 मिनट लग जाते हैं।


GNSS सिस्टम की टेस्टिंग शुरू
GNSS सिस्टम को भारतीय सड़कों पर लाने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। इस प्रणाली के तहत, टोल प्लाजा को हटाने की योजना है और सैटेलाइट आधारित सिस्टम के माध्यम से टोल वसूली की जाएगी।


इस नए सिस्टम के तहत, यदि वाहन 20 किलोमीटर के दायरे में रुकता है, तो टोल टैक्स नहीं लिया जाएगा। इसके अलावा, टोल शुल्क प्रति किलोमीटर के हिसाब से कटेगा, जिससे यात्रियों को अधिकतम लाभ होगा।


वर्तमान में, इस प्रणाली का परीक्षण बेंगलुरु-मैसूर हाईवे NH 275 और पानीपत-हिसार हाईवे NH 709 पर किया जा रहा है। यदि परीक्षण सफल होता है, तो वाहन मालिकों को अपने वाहनों में नया सिस्टम स्थापित कराने के लिए सर्विस सेंटर पर जाना होगा।