चकोरी की खेती: किसानों के लिए लाभकारी विकल्प

चकोरी की खेती किसानों के लिए एक लाभकारी विकल्प साबित हो रही है। यह न केवल कम समय में अधिक मुनाफा देती है, बल्कि जंगली जानवरों से भी सुरक्षित है। उत्तर प्रदेश के बाराबंकी में किसान समूहों के माध्यम से इसकी खेती कर रहे हैं और अच्छी कमाई कर रहे हैं। जानें चकोरी की खेती का सही समय, इसकी मांग और लागत के बारे में।
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चकोरी की खेती: किसानों के लिए लाभकारी विकल्प

चकोरी की खेती के लाभ


चकोरी की खेती से किसान कम समय में अधिक लाभ कमा सकते हैं। आइए जानते हैं चकोरी क्या है, इसकी खेती से होने वाले लाभ, खेती का सही समय और इसे कहां बेचा जा सकता है।


चकोरी की खेती का सही समय

कई किसान समूहों के माध्यम से चकोरी की खेती की जा रही है, विशेषकर उत्तर प्रदेश के बाराबंकी में। यहां के किसान समूह मिलकर 5 से 7 करोड़ रुपये तक की कमाई कर रहे हैं। एक किसान ने बताया कि वे अक्टूबर से दिसंबर के बीच चकोरी की फसल उगाते हैं, जो लगभग तीन महीने में तैयार हो जाती है।


चकोरी की मांग

यदि किसान चकोरी की खेती करना चाहते हैं, तो उन्हें इसकी बिक्री के स्थान की जानकारी होनी चाहिए। बाराबंकी के किसान डॉबर जैसी कंपनियों से संपर्क कर चकोरी की बिक्री करते हैं। वे कांट्रैक्ट फार्मिंग करते हैं, जिससे फसल की कीमत पहले से तय होती है और किसान को नुकसान नहीं होता।


चकोरी की खेती में लागत और मुनाफा

किसान को चकोरी की खेती में आने वाली लागत और मुनाफे की जानकारी होनी चाहिए। एक एकड़ में चकोरी की खेती करने पर लागत 20,000 से 25,000 रुपये आती है। वहीं, बाराबंकी के किसान एक एकड़ से 1,25,000 रुपये तक का शुद्ध मुनाफा कमा सकते हैं। इसलिए, कांट्रैक्ट फार्मिंग एक बेहतर विकल्प है।