कश्मीर से दिल्ली तक मालवाहक पार्सल ट्रेन का शुभारंभ: नई आर्थिक संभावनाएं
कश्मीर घाटी से दिल्ली तक पहली मालवाहक पार्सल ट्रेन का शुभारंभ जम्मू-कश्मीर की अर्थव्यवस्था के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। उपराज्यपाल मनोज सिन्हा द्वारा इस सेवा को हरी झंडी दिखाने से यह स्पष्ट होता है कि केंद्र और राज्य प्रशासन घाटी की कृषि उपज को राष्ट्रीय बाजार से जोड़ने के लिए सक्रिय हैं। नई ट्रेन से किसानों को आर्थिक सुरक्षा मिलेगी और उनकी उपज की गुणवत्ता में सुधार होगा। यह पहल कश्मीर के किसानों के लिए स्थायी मुस्कान लाने का वादा करती है।
Sep 15, 2025, 12:35 IST
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कश्मीर घाटी से दिल्ली तक मालवाहक पार्सल ट्रेन का शुभारंभ
कश्मीर घाटी से दिल्ली तक पहली मालवाहक पार्सल ट्रेन का शुभारंभ केवल एक परिवहन सुविधा की शुरुआत नहीं है, बल्कि यह जम्मू-कश्मीर की अर्थव्यवस्था के लिए एक नए युग की शुरुआत है। उपराज्यपाल मनोज सिन्हा द्वारा नौगाम से इस सेवा को हरी झंडी दिखाना इस बात का प्रतीक है कि केंद्र और राज्य प्रशासन घाटी की कृषि उपज और विशेषकर बागवानी उत्पादों को राष्ट्रीय बाजार से जोड़ने के लिए ठोस कदम उठा रहे हैं।
कश्मीर की अर्थव्यवस्था का एक बड़ा हिस्सा सेब, अखरोट, चेरी और अन्य जल्दी खराब होने वाले फलों पर निर्भर करता है। पहले, राष्ट्रीय राजमार्ग पर अत्यधिक निर्भरता और बार-बार होने वाले अवरोध—जैसे बारिश से उत्पन्न भूस्खलन—किसानों और व्यापारियों के लिए भारी नुकसान का कारण बनते थे। समय पर फसलें दिल्ली और अन्य महानगरों तक नहीं पहुंच पाने से दाम गिर जाते थे, जिससे उत्पादक हताशा का सामना करते थे।
नई पार्सल मालगाड़ी इस समस्या का दीर्घकालिक समाधान प्रस्तुत करती है। प्रतिदिन 23–24 टन माल अगले ही दिन दिल्ली पहुंच सकेगा, जिससे ताजगी और गुणवत्ता बनी रहेगी। साथ ही, सड़क परिवहन की तुलना में लागत भी कम होगी और ट्रकों पर निर्भरता घटेगी। यह पहल कश्मीर के किसानों को न केवल आर्थिक सुरक्षा देगी, बल्कि उनकी उपज को देश के बड़े बाजारों तक स्थायी रूप से जोड़ देगी। सबसे अहम बात यह है कि इस सेवा से घाटी का शेष भारत से एकीकरण और गहरा होगा। व्यापार, परिवहन और सांस्कृतिक आदान-प्रदान की निरंतरता ही स्थायी शांति और विकास की कुंजी है।
यह मालवाहक पार्सल ट्रेन कश्मीर की बागवानी आधारित अर्थव्यवस्था को नई गति और स्थिरता प्रदान करेगी। अब घाटी का सेब केवल कश्मीरियों के गर्व का प्रतीक नहीं रहेगा, बल्कि पूरे देश की थाली तक बिना बर्बादी के पहुंचेगा और घाटी के किसानों के चेहरों पर स्थायी मुस्कान बिखेरेगा।