उर्वशी यादव: संघर्ष से सफलता की ओर बढ़ती कहानी

उर्वशी यादव की कहानी एक प्रेरणादायक यात्रा है, जो संघर्ष और आत्मनिर्भरता की मिसाल पेश करती है। एक समय में समृद्ध जीवन जीने वाली उर्वशी को एक सड़क दुर्घटना ने कठिनाइयों में डाल दिया। लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और छोले-कुल्चे का ठेला लगाकर अपने जीवन को फिर से संवार लिया। उनकी मेहनत और संघर्ष ने उन्हें सफलता की नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया। जानें कैसे उर्वशी ने अपने ठेले को रेस्टोरेंट में बदला और समाज को एक नई प्रेरणा दी।
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उर्वशी यादव: संघर्ष से सफलता की ओर बढ़ती कहानी

संघर्ष की प्रेरणा


हरियाणा के गुरुग्राम की उर्वशी यादव की कहानी एक प्रेरणादायक यात्रा है। उन्होंने कहा, "आंधियों को जिद है जहाँ बिजलियां गिराने की, हमें भी जिद है वहीं आशियां बनाने की।"


सुख से संघर्ष की ओर

उर्वशी का विवाह एक समृद्ध परिवार में हुआ था, जहां उनके पति अमित एक प्रमुख कंस्ट्रक्शन कंपनी में कार्यरत थे। उनके पास हर चीज थी, लेकिन 2016 में एक सड़क दुर्घटना ने उनकी जिंदगी को बदल दिया। अमित की गंभीर चोटों के कारण उन्हें नौकरी छोड़नी पड़ी, जिससे परिवार की आर्थिक स्थिति बिगड़ने लगी।


नई जिम्मेदारियों का सामना

उर्वशी ने नर्सरी स्कूल में काम किया, लेकिन कम वेतन से घर का खर्च चलाना मुश्किल हो गया। उन्होंने ठेला लगाने का निर्णय लिया और गुरुग्राम के सेक्टर-14 में छोले-कुल्चे का ठेला शुरू किया। परिवार के विरोध के बावजूद, उन्होंने अपने आत्मसम्मान को प्राथमिकता दी।


सफलता की ओर कदम

शुरुआत में चुनौतियाँ थीं, लेकिन उर्वशी के स्वादिष्ट छोले-कुल्चे और उनकी मिलनसारिता ने ग्राहकों को आकर्षित किया। उनकी कहानी सोशल मीडिया पर वायरल हो गई, जिससे लोग दूर-दूर से उनके ठेले पर आने लगे।


रेस्टोरेंट की ओर बढ़ता सफर

जैसे-जैसे व्यवसाय बढ़ा, विरोध करने वाले भी समर्थन में आ गए। पति अमित ने भी व्यापार में मदद की। अंततः उर्वशी ने अपने ठेले को एक रेस्टोरेंट में बदल दिया, जहां अब कई प्रकार के व्यंजन उपलब्ध हैं।


उर्वशी की यह कहानी यह दर्शाती है कि मेहनत और आत्मनिर्भरता से किसी भी कठिनाई का सामना किया जा सकता है, बशर्ते कि 'लोग क्या कहेंगे' की चिंता को छोड़ दिया जाए।