बांके बिहारी मंदिर: रहस्यमय मूर्ति और अद्भुत मान्यताएँ

बांके बिहारी मंदिर, जो उत्तर प्रदेश के वृंदावन में स्थित है, भगवान कृष्ण की अद्भुत मूर्ति और रहस्यमय परंपराओं के लिए प्रसिद्ध है। इस मंदिर में बांसुरी न होने, बार-बार पर्दा लगाने और खजाने के रहस्य जैसी कई दिलचस्प बातें हैं। जानें इस मंदिर की अनोखी मान्यताएँ और चमत्कारिक विशेषताएँ, जो भक्तों को आकर्षित करती हैं।
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बांके बिहारी मंदिर: रहस्यमय मूर्ति और अद्भुत मान्यताएँ

बांके बिहारी मंदिर का परिचय

बांके बिहारी मंदिर: रहस्यमय मूर्ति और अद्भुत मान्यताएँ

बांके बिहारी मंदिर

बांके बिहारी मंदिर: भारत में भगवान कृष्ण के अनेक मंदिर हैं, लेकिन बांके बिहारी मंदिर की विशेष पहचान और मान्यता है। यह मंदिर उत्तर प्रदेश के वृंदावन में स्थित है और इसकी लोकप्रियता के पीछे कई धार्मिक मान्यताएँ हैं। यहां की मूर्ति को चमत्कारी माना जाता है, जिससे भक्त दूर-दूर से दर्शन के लिए आते हैं। आइए, जानते हैं इस मंदिर से जुड़ी कुछ दिलचस्प बातें।


बांके बिहारी जी की अद्भुत मूर्ति

बांके बिहारी जी की मूर्ति भगवान कृष्ण का एक अनोखा रूप है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इसे स्वामी हरिदास द्वारा प्रकट किया गया था और इसे पुरुष और स्त्री शक्तियों का संगम माना जाता है। इस मूर्ति की त्रिभंग मुद्रा विशेष है, जिसमें कृष्ण का एक पैर दूसरे पर रखा हुआ है और उनके हाथ में बांसुरी नहीं है।


पर्दे का रहस्य

इस मंदिर में बिहारी जी की मूर्ति पर बार-बार पर्दा लगाया जाता है। मान्यता है कि यदि भक्तों की नजरें लगातार भगवान पर पड़ीं, तो वे उनके सम्मोहन में खो जाएंगे। इसलिए, पर्दा खोला और बंद किया जाता है, जिससे दर्शन का अनुभव सीमित रहता है।


निधिवन से स्थानांतरण

पहले बांके बिहारी जी की पूजा निधिवन में होती थी, लेकिन 19वीं शताब्दी में स्वामी हरिदास के अनुयायियों के बीच विवाद के कारण मूर्ति को वर्तमान स्थान पर स्थानांतरित किया गया। नए मंदिर का निर्माण गोस्वामी के प्रयासों से हुआ।


खजाने का रहस्य

बांके बिहारी मंदिर का खजाना पिछले 54 वर्षों से बंद था। हाल ही में इसे खोला गया, जिसमें रत्न और आभूषणों के बजाय बक्से, बर्तन और पीतल के बर्तन मिले। इसके अलावा, खजाने में दो सांप और गुप्त सीढ़ियाँ भी मिलीं, जिसने लोगों की जिज्ञासा को और बढ़ा दिया।


बांके बिहारी में घंटी

इस मंदिर में कोई घंटी नहीं है, क्योंकि भगवान कृष्ण की मूर्ति बाल स्वरूप में है। भक्तों का मानना है कि घंटियों की तेज आवाज से भगवान चौंक सकते हैं, इसलिए उन्हें परेशान करने के लिए मंदिर में घंटी नहीं लगाई गई।


बांके बिहारी की बांसुरी

बांके बिहारी जी की मूर्ति के हाथों में बांसुरी नहीं है, जिससे भक्तों के मन में सवाल उठता है। मान्यता है कि उनके कोमल हाथों में बांसुरी देने से चोट लगने का डर रहता है, इसलिए उन्हें बांसुरी नहीं दी गई।