पपीते को अखबार में लपेटने के पीछे के वैज्ञानिक कारण

क्या आपने कभी सोचा है कि पपीते को अखबार में लपेटने का कारण क्या है? इस लेख में हम पपीते को लपेटने के पीछे के वैज्ञानिक कारणों को समझेंगे। जानें कैसे एथिलीन गैस और कागज का उपयोग पपीते के पकने की प्रक्रिया को तेज करता है। इसके अलावा, जानें कि कागज और प्लास्टिक में क्या अंतर है और पपीते को पकाने में यह कैसे मदद करता है।
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पपीते को अखबार में लपेटने के पीछे के वैज्ञानिक कारण

पपीते के बारे में रोचक तथ्य


क्या आपने कभी सोचा है कि बाजार में बिकने वाले पपीते को अखबार में लपेटा क्यों जाता है? यदि नहीं, तो इस लेख में हम इसके पीछे के कारणों को समझेंगे। वास्तव में, पपीते को न्यूजपेपर में लपेटने के कई वैज्ञानिक कारण हैं, जिन्हें हम यहां विस्तार से देखेंगे।


1. एथिलीन गैस: पपीता, अन्य फलों की तरह, एथिलीन नामक एक प्राकृतिक गैस का उत्सर्जन करता है। यह गैस उसके पकने की प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह गैस एंजाइमों को सक्रिय करती है, जो स्टार्च को शुगर में परिवर्तित करती है, फल को नरम बनाती है और इसके स्वाद को बढ़ाती है।


2. एथिलीन का संकेंद्रण: जब पपीते को कागज में लपेटा जाता है, तो फल से निकलने वाली एथिलीन गैस एक सीमित स्थान में फंस जाती है। इस गैस का संकेंद्रण पपीते के पकने की प्रक्रिया को तेज करता है।


3. कागज बनाम प्लास्टिक: कागज का उपयोग करना अधिक महत्वपूर्ण है क्योंकि यह वायु विनिमय की अनुमति देता है और अतिरिक्त नमी को बढ़ने से रोकता है। इसके विपरीत, प्लास्टिक नमी को बंद कर देता है, जिससे फल चिपचिपा और फफूंदयुक्त हो सकता है। इसलिए, अखबार में लपेटना एक बेहतर विकल्प है।


4. पकने का समय: पपीते की हरी अवस्था के आधार पर, इसे पेपर बैग या अखबार में रखने से यह दो से तीन दिनों में आसानी से पक जाता है।