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साहित्यिक पत्रकारिता का महत्व: वीणा पत्रिका के शताब्दी समारोह में प्रो. संजय द्विवेदी का संबोधन

इंदौर में आयोजित वीणा पत्रिका के शताब्दी समारोह में प्रो. संजय द्विवेदी ने साहित्यिक पत्रकारिता के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने बताया कि यह पत्रकारिता समाज को विचारशील बनाती है और संस्कृति की रक्षा करती है। समारोह में 'वीणा' के 99वें अंक का विमोचन भी किया गया। डॉ. राकेश शर्मा ने समारोह के दौरान देशभर में होने वाले आयोजनों की योजना साझा की। जानें इस समारोह की अन्य विशेषताएँ और उपस्थित साहित्यकारों के बारे में।
 

साहित्यिक पत्रकारिता की भूमिका

इंदौर। भारतीय जन संचार संस्थान (आईआईएमसी) के पूर्व महानिदेशक प्रोफेसर संजय द्विवेदी ने कहा कि साहित्यिक पत्रकारिता ने समाज को विचारशीलता की ओर अग्रसर किया है, जिससे मूल्य, विवेक और संस्कृति की रक्षा संभव हुई है। वे सोमवार को श्री मध्य भारत हिंदी साहित्य समिति, इंदौर में 'वीणा' पत्रिका के शताब्दी वर्ष समारोह का उद्घाटन कर रहे थे। इस अवसर पर उन्होंने 'वीणा' के 99वें वर्ष के पहले अंक का विमोचन भी किया। कार्यक्रम में प्रो. द्विवेदी को 'वीणा सर्जना सम्मान' से भी नवाजा गया। 




मुख्य अतिथि के रूप में प्रो. द्विवेदी ने कहा कि हिंदी पत्रकारिता जब 200 वर्ष पूरे करने जा रही है, तब 'वीणा' की सौ वर्ष की यात्रा अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह पत्रिका न केवल अतीत की गवाह है, बल्कि हमारी भाषा के विकास, साहित्य, संस्कृति और कलाओं का इतिहास भी प्रस्तुत करती है। उन्होंने कहा कि 'वीणा' की मधुर ध्वनि साहित्य के क्षेत्र में अद्वितीय है। इस पत्रिका ने बिना किसी शोर के जो कार्य किया है, उसका मूल्यांकन अभी बाकी है। प्रोफेसर द्विवेदी ने यह भी कहा कि साहित्यिक पत्रकारिता हमारे समय की सच्चाई को उजागर करती है और समाज को मजबूती प्रदान करती है। उनके अनुसार, हिंदी के व्यापक प्रचार में साहित्यिक पत्रकारिता का योगदान महत्वपूर्ण है, जिसने भाषा में हर विषय की अभिव्यक्ति का आत्मविश्वास बढ़ाया है। उन्होंने यह भी बताया कि साहित्यिक पत्रकारिता ने हिंदी भाषा को गंभीरता, गहराई और विश्वास प्रदान किया है, और जनांदोलनों से जुड़कर सामाजिक परिवर्तन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। 




देशभर में समारोहों की योजना:


पत्रिका के संपादक डॉ. राकेश शर्मा ने 'वीणा' के योगदान और उसके इतिहास पर चर्चा करते हुए बताया कि शताब्दी समारोह के अंतर्गत देशभर में कई कार्यक्रम आयोजित किए जाने की योजना है। इनमें साहित्य, संस्कृति और कलाओं से जुड़े विभूतियों का सम्मान भी किया जाएगा। इस कार्यक्रम में श्री मध्य भारत हिंदी साहित्य समिति के कार्यकारी प्रधानमंत्री घनश्याम यादव, साहित्यकार सूर्यकांत नागर, डा. वसुधा गाडगिल, अंतरा करवड़े, डा. पद्मा सिंह, ज्योति जैन, गरिमा संजय दुबे, योगेन्द्र नाथ शुक्ल, सदाशिव कौतुक, प्रभु त्रिवेदी, मुकेश तिवारी, अर्पण जैन, अरविंद ओझा, चंद्रभान भारद्वाज सहित इंदौर के साहित्य प्रेमी भी उपस्थित रहे।