रोहित शर्मा और ब्रोंको टेस्ट: फिटनेस का नया मानक
रोहित शर्मा की क्रिकेट यात्रा
रोहित शर्मा, जिन्हें हिटमैन के नाम से भी जाना जाता है, ने अपनी शानदार बल्लेबाजी के जरिए विश्व क्रिकेट में कई उपलब्धियां हासिल की हैं। हाल ही में उन्होंने टी20 और टेस्ट क्रिकेट से संन्यास लेने की घोषणा की है, जिससे अब वह केवल वनडे क्रिकेट में खेलते नजर आएंगे। यह भी कहा जा रहा है कि वह 2027 के वनडे विश्व कप में भाग लेंगे, हालांकि उस समय उनकी उम्र 40 वर्ष से अधिक होगी।
बीसीसीआई का ब्रोंको टेस्ट
भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) ने हाल ही में ब्रोंको टेस्ट की शुरुआत की है। यह फिटनेस एसेसमेंट टेस्ट भारत और इंग्लैंड के बीच टेस्ट श्रृंखला के दौरान कई खिलाड़ियों, विशेषकर तेज गेंदबाजों की फिटनेस समस्याओं के मद्देनजर शुरू किया गया था। इसका मुख्य उद्देश्य उच्च स्तर की फिटनेस बनाए रखना और खिलाड़ियों की एरोबिक क्षमता में सुधार करना है।
ब्रोंको टेस्ट की प्रक्रिया
ब्रोंको टेस्ट एक एरोबिक रनिंग ड्रिल है, जो खिलाड़ियों के स्टेमिना, स्पीड और हृदय की स्थिति का आकलन करने में मदद करता है। इस टेस्ट में 20 मीटर, 40 मीटर और 60 मीटर की शटल दौड़ शामिल होती है। खिलाड़ियों को बिना रुके पांच सेट पूरे करने होते हैं, जिसमें कुल 1,200 मीटर दौड़ना होता है, और यह सब 6 मिनट के भीतर पूरा करना होता है।
मनोज तिवारी का बयान
पूर्व भारतीय बल्लेबाज मनोज तिवारी ने ब्रोंको टेस्ट के संदर्भ में बीसीसीआई और रोहित शर्मा के बारे में एक महत्वपूर्ण टिप्पणी की है। उनका मानना है कि बीसीसीआई ने यह टेस्ट इसलिए शुरू किया है ताकि रोहित शर्मा 2027 के वनडे विश्व कप से पहले क्रिकेट से संन्यास ले लें। उन्होंने कहा कि रोहित इस समय 38 वर्ष के हैं और उनकी फिटनेस को लेकर सवाल उठते रहते हैं।
फिटनेस टेस्ट का समय
मनोज ने यह भी सवाल उठाया कि ब्रोंको टेस्ट की शुरुआत जुलाई में गौतम गंभीर के भारतीय टीम के हेड कोच बनने के बाद क्यों की गई। उन्होंने कहा कि टीम के नए स्ट्रेंथ और कंडीशनिंग कोच एड्रियन ले रॉक्स ने इसे शुरू किया था। हालांकि, उनका मानना है कि यह टेस्ट कुछ खिलाड़ियों को बाहर रखने के लिए भी लागू किया गया है, जैसा कि 2011 में हुआ था।