राजस्थान में दहेज प्रथा के खिलाफ एक प्रेरणादायक कदम
दहेज प्रथा का अंत: जयपुर की शादी में अनोखा उदाहरण
राजस्थान के जयपुर में दहेज प्रथा को एक बार फिर चुनौती दी गई है। वर पक्ष ने दहेज के रूप में दिए गए 11 लाख रुपये को स्वीकार करने से मना कर दिया। यह घटना इस बात का संकेत है कि समाज में दहेज के खिलाफ एक सकारात्मक बदलाव आ रहा है।
इस शादी में दुल्हन के पिता ने दूल्हे को शगुन के तौर पर 11 लाख रुपये दिए, लेकिन दूल्हे शैलेंद्र सिंह और उनके पिता विजय सिंह ने इसे वापस लौटा दिया। इस निर्णय की चारों ओर सराहना हो रही है, और दुल्हन के पिता इस बड़प्पन को देखकर भावुक हो गए।
वर पक्ष की सराहना
जयपुर में रहने वाले विजय सिंह राठौड़ प्रॉपर्टी के व्यवसाय से जुड़े हैं, जबकि उनकी पत्नी सुमन शेखावत एक शिक्षिका हैं। उनके बेटे शैलेंद्र सिंह जयपुर विद्युत वितरण निगम में एकाउंटेंट के पद पर कार्यरत हैं। हाल ही में शैलेंद्र की शादी कंचन शेखावत से हुई, जो एमएससी और बीएड की डिग्री धारक हैं।
टीका लौटाने की घटना
दुल्हन के पिता ने दूल्हे को 11 लाख रुपये का टीका दिया, लेकिन दूल्हे और उनके पिता ने इसे ससम्मान लौटाने का निर्णय लिया। इस कदम ने समाज में एक प्रेरणादायक संदेश दिया है।
समाज में बदलाव की लहर
राजस्थान के राजपूत समाज में टीका एक महत्वपूर्ण मुद्दा रहा है, लेकिन हाल के समय में इसके खिलाफ आवाज उठने लगी है। पश्चिमी राजस्थान के बाड़मेर और जैसलमेर जैसे जिलों में भी दहेज को नकारने की प्रवृत्ति बढ़ रही है। यह बदलाव केवल राजपूत समाज तक सीमित नहीं है, बल्कि अन्य समुदायों में भी देखा जा रहा है।
नई पीढ़ी अब शादी के समय होने वाले लेनदेन को नकारात्मक दृष्टि से देख रही है। हाल ही में बाड़मेर में एक राजपूत बेटी ने अपने पिता को दहेज देने से मना कर दिया और उस राशि को समाज की लड़कियों के छात्रावास के लिए दान कर दिया।
झुंझुनूं में भी एक ऐसा उदाहरण सामने आया है, जहां एक पिता ने अपने बेटे की शादी महज एक रुपये और नारियल के शगुन के साथ की। इसके बाद उन्होंने बहू को 11 लाख रुपये की कार उपहार में दी।