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भारत ने इंग्लैंड को दबाव में डाला, फॉलो-ऑन से बचने के लिए कितने रन चाहिए?

भारत ने इंग्लैंड के खिलाफ तीसरे दिन शानदार प्रदर्शन किया, जिसमें मोहम्मद सिराज ने लगातार दो विकेट लेकर मेज़बान टीम को संकट में डाल दिया। इंग्लैंड को फॉलो-ऑन से बचने के लिए 388 रन बनाने होंगे, जो वर्तमान स्थिति को देखते हुए बेहद कठिन लग रहा है। आकाश ने भी अपनी टेस्ट डेब्यू पर प्रभावशाली शुरुआत की। जानें इस मैच में आगे क्या हो सकता है और इंग्लैंड की स्थिति क्या है।
 

भारत ने इंग्लैंड को बैकफुट पर धकेला

दूसरे दिन के बाद, भारत ने मेज़बान इंग्लैंड पर स्पष्ट रूप से दबदबा बनाया था। लेकिन तीसरे दिन की सुबह, भारत ने इंग्लैंड के लिए एक बड़ा संकट उत्पन्न कर दिया, जो किसी के भी मन में नहीं था। यह संकट मोहम्मद सिराज द्वारा उत्पन्न हुआ, जिन्होंने लगातार दो गेंदों पर दो बड़े झटके दिए। तीसरे दिन के दूसरे ओवर में, सिराज ने पहले पूर्व कप्तान जो रूट को स्टंप किया और फिर अगली गेंद पर वर्तमान कप्तान बेन स्टोक्स को बिना रन बनाए आउट किया। इंग्लैंड का स्कोर जल्दी ही 84 पर 5 हो गया, और आधी टीम पवेलियन में जा चुकी थी। अब सवाल यह था कि क्या इंग्लैंड फॉलो-ऑन से बच पाएगा? इसके लिए उन्हें 388 रन बनाने होंगे, और वर्तमान स्थिति को देखते हुए, यह बेहद कठिन लग रहा है।


तीसरे दिन का आगाज़

तीसरे दिन की शुरुआत में, सिराज ने इंग्लैंड के बल्लेबाजों को परेशान करना जारी रखा। टेस्ट डेब्यू कर रहे आकाश ने भारत को शानदार शुरुआत दी। तीसरे ओवर की तीसरी गेंद पर, उन्होंने बेन डकेट को तीसरे स्लिप में बिना रन बनाए आउट किया। इसके बाद, उन्होंने ओली पोप को भी अगली गेंद पर KL राहुल के हाथों कैच करवा दिया। आकाश ने दो गेंदों में दो विकेट लेकर भारत की उम्मीदों को जगाया, और सिराज ने तीसरे दिन की शुरुआत में इंग्लैंड को फॉलो-ऑन संकट में डाल दिया।


फॉलो-ऑन से बचने के लिए इंग्लैंड को कितने रन चाहिए?

भारत ने पहले पारी में 587 रन बनाए हैं। नियमों के अनुसार, इंग्लैंड को फॉलो-ऑन से बचने के लिए कम से कम 388 रन बनाने होंगे। टेस्ट या फर्स्ट-क्लास क्रिकेट में, फॉलो-ऑन से बचने के लिए टीम को प्रतिद्वंद्वी के स्कोर के भीतर 200 रन के भीतर होना चाहिए। फॉलो-ऑन लागू करने का लाभ यह है कि यह कम दिनों में खेल को समय बचाने में मदद करता है। आवश्यक रन से कम स्कोर करना न केवल रणनीतिक लाभ देता है, बल्कि यह फॉलो-ऑन टीम पर मनोवैज्ञानिक दबाव भी डालता है।