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बैंक की नौकरी छोड़कर बने 'हेलीकॉप्टर वाले किसान', 25 करोड़ का टर्नओवर

राजाराम त्रिपाठी ने 1996 में बैंक की सुरक्षित नौकरी छोड़कर खेती करने का साहसिक निर्णय लिया। आज वे 'हेलीकॉप्टर वाले किसान' के रूप में जाने जाते हैं, जिनके पास 7 करोड़ रुपये का हेलीकॉप्टर है। उनकी कंपनी 'मां दंतेश्वरी हर्बल ग्रुप' 25 करोड़ रुपये का टर्नओवर करती है। राजाराम ने न केवल अपने लिए बल्कि 400 से अधिक आदिवासी परिवारों के लिए भी रोजगार और आत्मनिर्भरता का रास्ता खोला है। जानिए उनकी प्रेरणादायक यात्रा के बारे में।
 

राजाराम त्रिपाठी की अनोखी कहानी

माँ दंतेश्वरी हर्बल ग्रुप के मालिक राजाराम त्रिपाठी


कल्पना कीजिए, एक व्यक्ति जो स्टेट बैंक ऑफ इंडिया में एक सुरक्षित नौकरी छोड़कर खेती करने का निर्णय लेता है। 1996 में राजाराम त्रिपाठी ने यही किया, जिसके कारण उनके परिचितों ने उन्हें 'पागल' करार दिया। यह विश्वास करना कठिन था कि कोई इतनी स्थिरता को छोड़कर अनिश्चितता की ओर बढ़ सकता है।


हालांकि, आज लगभग तीन दशकों बाद, राजाराम त्रिपाठी को 'हेलीकॉप्टर वाले किसान' के नाम से जाना जाता है। उनके पास 7 करोड़ रुपये का एक हेलीकॉप्टर है, जिसका उपयोग वे अपनी 1000 एकड़ की खेती की देखरेख और फसल पर दवा छिड़काव के लिए करते हैं।


बैंक से खेती के साम्राज्य तक का सफर

राजाराम का सफर किसी फिल्म की कहानी से कम नहीं है। जब उन्होंने एसबीआई की नौकरी छोड़ी, तब उनके पास केवल 5 एकड़ जमीन थी। उन्होंने टमाटर की खेती से शुरुआत की, लेकिन जल्दी ही समझ गए कि पारंपरिक फसलों से बड़ा मुनाफा नहीं हो सकता। इसके बाद उन्होंने औषधीय खेती की ओर रुख किया और 'सफेद सोना' यानी सफेद मूसली का चयन किया।


यह निर्णय उनके लिए एक मास्टरस्ट्रोक साबित हुआ। उन्होंने सफेद मूसली के साथ-साथ अश्वगंधा, काली मिर्च और अन्य हर्बल पौधों की वैज्ञानिक खेती शुरू की। आज उनकी कंपनी 'मां दंतेश्वरी हर्बल ग्रुप' 25 करोड़ रुपये के सालाना टर्नओवर वाली एक बड़ी कृषि कंपनी बन चुकी है। उनके उत्पाद केवल भारत में ही नहीं, बल्कि अमेरिका, जर्मनी, इंग्लैंड और फ्रांस जैसे देशों में भी निर्यात होते हैं।


हेलीकॉप्टर की आवश्यकता का कारण

जब राजाराम का कारोबार 1000 एकड़ तक फैल गया, तो फसल की देखरेख करना एक चुनौती बन गया। उन्होंने देखा कि विदेशों में किसान हेलीकॉप्टर का उपयोग करते हैं, तो उन्होंने भी एक 7 करोड़ रुपये का रॉबिन्सन R-44 हेलीकॉप्टर खरीदा। यह खरीद केवल एक शौक नहीं थी, बल्कि खेती को आधुनिक बनाने की एक योजना थी।


राजाराम, उनके बेटे और भाई ने पायलट बनने के लिए ट्रेनिंग ली है ताकि वे इस हेलीकॉप्टर का सही उपयोग कर सकें। यह हेलीकॉप्टर मिनटों में कई एकड़ फसल पर दवा छिड़काव कर देता है, जिससे समय और लागत की बचत होती है।


सामाजिक जिम्मेदारी और विकास

राजाराम त्रिपाठी की सफलता केवल उनके टर्नओवर तक सीमित नहीं है। उन्होंने 400 से अधिक आदिवासी परिवारों को रोजगार दिया और उन्हें आधुनिक खेती की ट्रेनिंग देकर आत्मनिर्भर बनाया है। वे कहते हैं, 'असली विकास तभी है, जब सबका फायदा हो।' वे अपने हेलीकॉप्टर का उपयोग केवल अपने खेतों के लिए नहीं, बल्कि आस-पास के किसानों की मदद के लिए भी करते हैं।


राजाराम को खेती में उनके योगदान के लिए तीन बार राष्ट्रीय स्तर पर 'बेस्ट फार्मर अवार्ड' से सम्मानित किया जा चुका है।