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निर्गुन्डी: 101 रोगों का प्राकृतिक उपचार

निर्गुन्डी, जिसे FIVE LEAVED CHASTE के नाम से भी जाना जाता है, एक अद्भुत पौधा है जो 101 रोगों के उपचार में सहायक है। यह स्लिपडिस्क, सर्वाइकल, गठिया, और माइग्रेन जैसी समस्याओं के लिए एक प्रभावी उपाय है। इसके पत्तों और जड़ों का उपयोग विभिन्न स्वास्थ्य लाभों के लिए किया जाता है। जानें इसके उपयोग के तरीके और इसके अद्भुत फायदों के बारे में।
 

निर्गुन्डी | FIVE LEAVED CHASTE

आज हम आपको एक ऐसे पौधे के बारे में जानकारी देंगे जो गंभीर से गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं जैसे स्लिपडिस्क, सर्वाइकल, गठिया और माइग्रेन के लिए एक प्रभावी उपाय है।


यह पौधा निर्गुन्डी है, जिसे अमृतदाई माना जाता है। निर्गुन्डी एक प्राकृतिक एंटीबायोटिक जड़ी-बूटी है, जो विभिन्न प्रकार के दर्द, चोट, सामान्य बुखार और मलेरिया के इलाज में सहायक होती है।


आप इसे अपने घर में भी उगा सकते हैं। इसे हिंदी में सम्हालू और मेउड़ी, संस्कृत में सिनुआर और निर्गुण्डी, बंगाली में निशिन्दा, मराठी में निगड और निर्गण्ड, तेलुगु में तेल्लागाविली, तमिल में नौची, गुजराती में नगड़ और नगोड़, मलयालम में इन्द्राणी और अंग्रेजी में FIVE LEAVED CHASTE के नाम से जाना जाता है।


निर्गुन्डी की तासीर गर्म होती है और यह कफवात को शांत करती है। यह दर्द को कम करने, बुद्धि को बढ़ाने, सूजन, घाव, बालों के रोग और हानिकारक कीटाणुओं को नष्ट करने में मदद करती है। इसके अलावा, यह पाचन शक्ति को बढ़ाने, यकृत को उत्तेजित करने और कफ-खांसी को दूर करने में भी सहायक है। आइए इसके 101 फायदों के बारे में जानते हैं।


निर्गुन्डी | FIVE LEAVED CHASTE के फायदे

स्लिपडिस्क: यदि सियाटिका, स्लिपडिस्क या मांसपेशियों में सूजन हो, तो निर्गुन्डी की छाल का 5 ग्राम चूर्ण या पत्तों का काढ़ा 20 मिलीलीटर मात्रा में दिन में तीन बार लेने से लाभ होता है। यह स्लिपडिस्क के लिए एक प्रभावी उपाय है।


सर्वाइकल: निर्गुन्डी सर्वाइकल और मस्कुलर पेन के लिए भी उपयोगी है। इसके पत्तों का काढ़ा इन समस्याओं में राहत देता है।


आधासीसी (माइग्रेन): काली निर्गुण्डी के ताजे पत्तों का रस हल्का गर्म करके कान में 2-2 बूंद डालने से आधे सिर का दर्द समाप्त हो जाता है।


अस्थमा: इसकी जड़ और अश्वगंधा की जड़ का काढ़ा तीन महीने तक पीने से लाभ होता है।


दर्द नाशक: 25 ग्राम ग्वारपाठे की सूखी छाल, 10 ग्राम सूखी अर्जुन छाल, 10 ग्राम पीपर मूल, 10 ग्राम निर्गुन्डी के बीज, 10 ग्राम अश्वगंधा, 20 ग्राम त्रिफला, 20 ग्राम मूसली, 5 ग्राम मंडूर भस्म और 5 ग्राम अभ्रक भस्म को मिलाकर पीसकर दिन में दो बार 5-5 ग्राम गाय के दूध के साथ लेने से लाभ होता है।


निर्गुन्डी के अन्य लाभ

गठियावात के पारंपरिक उपचार में निर्गुन्डी की पत्तियों का रस या सेंकी हुई मेथी का चूर्ण लेने से आराम मिलता है।


गले में सूजन होने पर निर्गुन्डी के पत्ते, छोटी पीपर और चंदन का काढ़ा पीने से सूजन कम होती है।


सूतिका ज्वर में निर्गुन्डी का काढ़ा गर्भाशय के संकोचन में मदद करता है।


पेट में गैस बनने पर निर्गुन्डी के पत्तों के साथ काली मिर्च और अजवाइन का चूर्ण खाना चाहिए।


चोट और सूजन के लिए निर्गुन्डी के पत्तों का लेप लगाने से दर्द में राहत मिलती है।


निर्गुन्डी सेवन की मात्रा और हानिकारक प्रभाव

निर्गुन्डी के पत्तों का रस 10 से 20 मिलीलीटर, जड़ की छालों का चूर्ण 1 से 3 ग्राम, बीज और फलों का चूर्ण 3 से 6 ग्राम तक लिया जा सकता है।


हालांकि, अधिक मात्रा में सेवन करने से सिर में दर्द, जलन और किडनी पर विपरीत प्रभाव पड़ सकता है।