निभा की कहानी: दादा की याद और पारिवारिक संघर्ष
निभा का दादा के प्रति प्यार
निभा जब भी स्कूल से लौटती, सीधा अपने दादा के कमरे में जाती थी। दादा उसे बहुत प्यार करते थे, जैसे कोई अपनी जान से भी ज्यादा। वह अपने माता-पिता की इकलौती संतान थी, जबकि उसके पिता के दो भाई थे। बड़े भाई के पास निभा और छोटे भाई के दो बेटे हैं।
बाहर से देखने पर उनका परिवार सुखी और सम्पन्न लगता था।
निभा की माँ मिलनसार स्वभाव की महिला हैं और आसपास के लोगों में उनकी एक अलग पहचान है। उनका परिवार सभी के सुख-दुख में शामिल होता था। दादा एक बड़े सरकारी अधिकारी थे और रिटायरमेंट के बाद उसी शहर में दो मंजिला मकान बनवाया था। निभा का परिवार अपने पिता के साथ उसी घर में रहता था।
दादा की अनुपस्थिति
एक दिन, जब निभा स्कूल से घर आई, तो उसने देखा कि दादा कमरे में नहीं हैं। उसने माँ से पूछा, "दादा कहाँ गए हैं?" माँ ने बताया कि वे चाचा के यहाँ गए हैं।
निभा ने शिकायत की, "आपने मुझे क्यों नहीं बताया कि दादा चाचा के पास जा रहे हैं?" माँ ने कहा, "मैंने सुबह बताया था, लेकिन शायद तुम स्कूल जाने की जल्दी में भूल गई।"
माँ ने उसे कपड़े बदलने के लिए कहा, और निभा ने धीरे-धीरे दादा को भूलना शुरू कर दिया। लेकिन उसके मन में एक कसक थी कि दादा बिना बताए चले गए। समय के साथ, यादें धुंधली होने लगीं।
दादा की यादें और जन्मदिन
आज निभा अठारह साल की हो गई है, और वह अपने जन्मदिन पर दादा को नहीं भूलती। वह चाचा के पास फोन करती है, लेकिन उसे वही पुराना जवाब मिलता है, "बेटा, वे टहलने गए हैं।" दादा जी को गए आठ साल हो चुके हैं, और एक दिन भी उनसे बात नहीं हुई। लेकिन हर जन्मदिन पर दादा उसे खत लिखते थे, जो उसकी माँ उसे देती थी।
निभा उन खतों को सीने से लगाकर रखती और रोती। उसका अठारहवां जन्मदिन धूमधाम से मनाया गया। उसकी माँ के लिए, निभा सब कुछ थी।
माँ का निधन और दादा का रहस्य
निभा को आगे की पढ़ाई के लिए होस्टल जाना पड़ा। उसकी अनुपस्थिति में माँ की तबियत खराब रहने लगी। एक दिन, बाजार जाते समय, उसे एक लड़की दिखाई दी जो निभा की तरह थी। वह गाड़ी से कूद गई और ट्रक के नीचे आ गई। इस घटना ने परिवार को तोड़ दिया।
माँ के निधन की खबर सुनकर, निभा होस्टल से घर आई और पिता के कंधे से चिपककर रोई। श्राद्ध के दूसरे दिन, जब वह अपने चचेरे भाइयों के साथ वृद्ध आश्रम में खाना बांटने गई, तो उसने दादा को देखा।
वह आश्चर्यचकित होकर पूछती है, "दादाजी, आप यहाँ क्या कर रहे हैं?" उसके भाइयों ने बताया कि दादा गाँव में रहने चले गए थे। निभा को समझ नहीं आया कि उसके माता-पिता ने बचपन में झूठ क्यों बोला।
पारिवारिक संघर्ष
घर लौटकर, निभा ने अपने पिता और चाचा से पूछा कि इतनी बड़ी घटना के बावजूद दादा क्यों नहीं आए। पिता ने कहा, "दादाजी के लक्षण सही नहीं थे, इसलिए उन्हें वहाँ भेजा गया।" यह सुनकर निभा चौंक गई।
उसने कहा, "अगर दादा ऐसे थे, तो आपको उन्हें घर से निकाल देना चाहिए था। यह घर दादाजी का है।" उसने आरोप लगाया कि उसके माता-पिता ने संपत्ति के लिए दादा को बदनाम किया।
निभा ने दृढ़ निश्चय किया और वृद्ध आश्रम की ओर बढ़ गई।