नवजोत सिंह सिद्धू का 62वां जन्मदिन: क्रिकेट से राजनीति तक का सफर
जन्मदिन की बधाई
आज, 20 अक्टूबर को, प्रसिद्ध क्रिकेटर नवजोत सिंह सिद्धू अपना 62वां जन्मदिन मना रहे हैं। सिद्धू को उन क्रिकेटरों में गिना जाता है, जिनकी उपस्थिति से विपक्षी टीमों में भय का माहौल बन जाता था। उनके खेल के दौरान, विरोधी टीमों ने हमेशा उनकी क्षमताओं को मान्यता दी। सिद्धू ने अपने समय में बल्लेबाजी की एक मजबूत पहचान बनाई। आइए, उनके जन्मदिन के अवसर पर क्रिकेट, अभिनय और राजनीति में उनके योगदान के बारे में कुछ दिलचस्प बातें जानते हैं।
जन्म और पारिवारिक पृष्ठभूमि
नवजोत सिंह सिद्धू का जन्म 20 अक्टूबर 1963 को पंजाब के पटियाला जिले में हुआ। उनके पिता, सरदार भगवंत सिंह सिद्धू, स्वयं एक क्रिकेटर थे और उन्होंने नवजोत को एक उच्च श्रेणी का क्रिकेटर बनाने का सपना देखा। सिद्धू ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा यदिवेंद्र स्कूल से प्राप्त की और बाद में पंजाब विश्वविद्यालय से कानून में स्नातक की डिग्री हासिल की।
क्रिकेट करियर
नवजोत सिंह सिद्धू का अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट करियर 1983 से 1999 तक चला। उन्होंने अपना पहला टेस्ट मैच 1983 में वेस्टइंडीज के खिलाफ अहमदाबाद में खेला। 1989 में, उन्होंने पाकिस्तान के खिलाफ शारजाह में अपना पहला एकदिवसीय शतक बनाया। उनका अंतिम टेस्ट मैच 6 जनवरी 1999 को न्यूजीलैंड के खिलाफ था, और आखिरी एकदिवसीय मैच 20 सितंबर 1998 को पाकिस्तान के खिलाफ खेला गया। दिसंबर 1999 में, सिद्धू ने सभी क्रिकेट प्रारूपों से संन्यास लेने की घोषणा की।
कमेंटेटर के रूप में करियर
2001 में, नवजोत सिंह सिद्धू ने श्रीलंका के भारत दौरे के दौरान कमेंटेटर के रूप में अपने करियर की शुरुआत की। उन्होंने कमेंट्री में अपनी एक अलग पहचान बनाई और अपनी वन-लाइनर्स के लिए प्रसिद्ध हुए, जिन्हें 'Sidhuisms' कहा जाता है। शुरुआत में, उन्होंने ईएसपीएन-स्टार और बाद में टेन स्पोर्ट्स के लिए काम किया। इसके बाद, वह क्रिकेट विश्लेषक के रूप में भी नजर आए। आईपीएल में, सिद्धू हिंदी कमेंट्री भी करते हैं।
राजनीतिक करियर
साल 2004 में, नवजोत सिंह सिद्धू ने भाजपा के टिकट पर अमृतसर सीट से लोकसभा चुनाव में जीत हासिल की। हालांकि, एक कोर्ट केस के कारण उन्हें अपना पद छोड़ना पड़ा। बाद में, उन्होंने फिर से इस सीट पर जीत दर्ज की। 2014 के आम चुनाव में उन्हें अमृतसर की सीट नहीं मिली, लेकिन उन्होंने भाजपा के लिए प्रचार जारी रखा। 28 अप्रैल 2016 को, उन्हें राज्यसभा का सदस्य मनोनीत किया गया, लेकिन हाल ही में बीजेपी में उपेक्षा के कारण उन्होंने राज्यसभा से इस्तीफा दे दिया।