जॉफ्रा आर्चर की अनुपस्थिति से भारत को मिली राहत
एडग्बस्टन टेस्ट में जॉफ्रा आर्चर की अनुपस्थिति
एडग्बस्टन टेस्ट के लिए इंग्लैंड को उस खिलाड़ी की कमी खलेगी, जो भारतीय टीम के लिए सबसे बड़ा खतरा बन सकता था। हम जॉफ्रा आर्चर की बात कर रहे हैं। चार साल बाद इंग्लैंड की टेस्ट टीम में वापसी करने के बाद, आर्चर का खेलना लगभग तय था। लेकिन जब इंग्लैंड की अंतिम प्लेइंग इलेवन की घोषणा की गई, तो उनका नाम गायब था। आइए जानते हैं कि आर्चर इस मैच में क्यों नहीं खेल रहे हैं।
जॉफ्रा आर्चर क्यों नहीं खेल रहे हैं?
इंग्लैंड और वेल्स क्रिकेट बोर्ड (ECB) ने बताया कि जॉफ्रा आर्चर प्रैक्टिस सेशन में अनुपस्थित रहे क्योंकि उन्हें एक पारिवारिक आपात स्थिति का सामना करना पड़ा। इसी कारण उन्हें प्लेइंग इलेवन से बाहर रखा गया। उन्होंने यह भी कहा कि वह 1 जुलाई (मंगलवार) को टीम में शामिल हो सकते हैं।
चार साल बाद वापसी, लेकिन इंग्लैंड की प्लेइंग इलेवन में कोई विकल्प नहीं
जॉफ्रा आर्चर अपनी तेज गति के लिए विश्वभर में प्रसिद्ध हैं, जो 145-150 किमी/घंटा की दर से गेंदबाजी करते हैं। उन्होंने चार साल बाद टेस्ट टीम में वापसी की है, और उनका पिछला टेस्ट मैच भारत के खिलाफ था। हालांकि, इंग्लैंड ने लीड्स में जीतने वाली उसी इलेवन के साथ दूसरा टेस्ट खेला।
आर्चर का भारत के खिलाफ टेस्ट रिकॉर्ड
जॉफ्रा आर्चर का घरेलू मैदान पर रिकॉर्ड काफी प्रभावशाली है। उन्होंने अब तक 8 टेस्ट में 30 विकेट लिए हैं। भारत के खिलाफ, उन्होंने 2 टेस्ट खेले हैं और 4 विकेट लिए हैं। ये आंकड़े दर्शाते हैं कि वह विशेष रूप से घरेलू मैदान पर एक घातक गेंदबाज हैं। यही कारण है कि उनकी अनुपस्थिति भारतीय टीम के लिए राहत की बात है।
आर्चर का लॉर्ड्स टेस्ट में खेलना लगभग तय
हालांकि आर्चर दूसरे टेस्ट में नहीं खेल रहे हैं, लेकिन वह 10 से 14 जुलाई तक प्रतिष्ठित लॉर्ड्स क्रिकेट ग्राउंड पर तीसरे टेस्ट में खेलने की संभावना रखते हैं। टीम इंडिया को उस मैच के लिए अच्छी तैयारी करनी होगी, न केवल रन बनाने के लिए बल्कि जॉफ्रा आर्चर की तेज गेंदबाजी का सामना करने के लिए भी।
हेड-टू-हेड: किसका पलड़ा भारी?
इंग्लैंड वर्तमान में टेस्ट श्रृंखला में 1-0 से आगे है, पहले मैच में 5 विकेट से जीत हासिल की थी। एडग्बस्टन टेस्ट भारत और इंग्लैंड के बीच 138वां टेस्ट होगा। पिछले 137 टेस्ट में, भारत ने 35 बार जीत हासिल की है, जबकि इंग्लैंड ने 52 बार। शेष 50 टेस्ट ड्रॉ रहे हैं। ये आंकड़े इंग्लैंड की पहले की प्रतियोगिताओं में बढ़त को स्पष्ट रूप से दर्शाते हैं।