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जबलपुर में अनोखा ट्री-हाउस: 125 साल पुराने पीपल के पेड़ के बीच बना घर

जबलपुर में केशरवानी परिवार ने 125 साल पुराने पीपल के पेड़ के बीच एक अनोखा ट्री-हाउस बनाया है। इस घर का निर्माण बिना पेड़ को काटे किया गया है, जो पर्यावरण संरक्षण का एक बेहतरीन उदाहरण है। परिवार का मानना है कि यह पेड़ उनके घर का एक जीवित सदस्य है, जो उन्हें निरंतर ऑक्सीजन प्रदान करता है। जानें इस अद्वितीय घर की कहानी और इसके पीछे का आध्यात्मिक महत्व।
 

जबलपुर का अनोखा ट्री-हाउस


एक व्यक्ति ने अपने बचपन में जिस पीपल के पेड़ की छांव में खेला, वही पेड़ अब उसके परिवार के घर का हिस्सा बन गया है। जब घर बनाने का विचार आया, तो परिवार ने उसी पीपल के पेड़ के बीच में घर बनाने का निर्णय लिया।


परिवार का अनोखा प्रयास

जबलपुर में बना ट्री-हाउस


यह अद्वितीय ट्री-हाउस मध्य प्रदेश के जबलपुर में केशरवानी परिवार द्वारा बनाया गया है। उन्होंने 125 साल पुराने पीपल के पेड़ को बिना काटे ही अपने घर का निर्माण किया है। इस तीन मंजिला इमारत में पेड़ की जड़ें नीचे हैं और उसकी शाखाएं ऊपर की ओर फैली हुई हैं। परिवार का मानना है कि इस तरह से उन्होंने पेड़ को बचाने का प्रयास किया है।


पेड़ का महत्व

125 साल पुराने पेड़ को बिना काटे बना घर


पनागर क्षेत्र में स्थित यह घर वास्तव में एक ट्री-हाउस के समान है। यहां एक विशाल पीपल का पेड़ है, जिसे काटे बिना घर का निर्माण किया गया है। यह घर पर्यावरण संरक्षण का एक बेहतरीन उदाहरण प्रस्तुत करता है।


परिवार का पेड़ के प्रति प्रेम

घर के सदस्य की तरह रहता है पेड़


केशरवानी परिवार का कहना है कि यह 125 साल पुराना पीपल का पेड़ उनके परिवार का एक जीवित सदस्य है। सभी सदस्य इसकी देखभाल करते हैं और यह पेड़ उन्हें निरंतर ऑक्सीजन प्रदान करता है। इसकी शाखाएं घर की खिड़कियों से बाहर निकलती हैं।


घर की नींव और निर्माण

27 साल पहले रखी गई घर की नींव


इस घर की नींव 27 साल पहले रखी गई थी। इसे स्व. डॉ. मोतीलाल केशरवानी ने बनवाया था। उनके बेटे के अनुसार, मोतीलाल ने इस पेड़ की छांव में बड़े होकर इसे अपने घर का हिस्सा बनाने की इच्छा व्यक्त की।


ईको-फ्रेंडली निर्माण

यह घर पूरी तरह से ईको-फ्रेंडली है और इसके चारों ओर बने कमरों में पेड़ के हिस्से को नुकसान नहीं पहुंचाया गया है। इस घर के नीचे एक मंदिर भी है, जहां लोग पूजा करने आते हैं।


आध्यात्मिक और पर्यावरणीय महत्व

पर्यावरण संरक्षण के साथ आध्यात्मिक महत्व


पीपल के वृक्ष का आध्यात्मिक महत्व भी है, क्योंकि मान्यता है कि इसमें 33 करोड़ देवी-देवताओं का वास होता है। परिवार के सदस्य इस वृक्ष की रोजाना पूजा करते हैं। वैज्ञानिक दृष्टि से भी, पीपल का पेड़ दिन-रात ऑक्सीजन प्रदान करता है।


परिवार का मानना है कि इस घर के माध्यम से वे यह संदेश देना चाहते हैं कि किसी चीज को नष्ट करना आसान है, लेकिन उसे बनाना कठिन है।