ITAT बैंगलोर ने किसान के पक्ष में सुनाया महत्वपूर्ण फैसला
महत्वपूर्ण निर्णय
30 अक्टूबर 2025 को आयकर अपीलीय न्यायाधिकरण (ITAT) बैंगलोर बेंच ने एक महत्वपूर्ण निर्णय सुनाया, जिसमें किसान श्री कनाना के पक्ष में फैसला दिया गया और टैक्स विभाग का नोटिस रद्द कर दिया गया। टैक्स विभाग ने यह आरोप लगाया था कि किसान ने आम की बिक्री से प्राप्त आय को गलत तरीके से दर्शाया है। हालांकि, ITAT ने कहा कि टैक्स अधिकारी का नोटिस केवल अनुमानों पर आधारित था और इसमें ठोस सबूतों की कमी थी.
मामले की शुरुआत
श्री कनाना के पास 22.24 एकड़ कृषि भूमि है, जहां वे आम और अन्य फलों की खेती करते हैं। उन्होंने 1 फरवरी 2021 को वित्त वर्ष 2019-20 (AY 2020-21) के लिए अपना आयकर रिटर्न दाखिल किया, जिसमें उन्होंने अपनी कुल आय 48,58,140 रुपये बताई, जिसमें से 1.85 करोड़ रुपये आम और फलों की बिक्री से थे। टैक्स विभाग ने इस बड़ी कृषि आय को असामान्य मानते हुए मामले को CASS (कंप्यूटर असिस्टेड स्क्रूटनी सिलेक्शन) के तहत जांच के लिए चुना।
टैक्स अधिकारी का संदेह
जांच के दौरान, टैक्स अधिकारी ने वेरीफिकेशन यूनिट को भेजा ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि किसान ने वास्तव में खेती की थी या नहीं। रिपोर्ट में पुष्टि हुई कि खेती की गई थी और जमीन पर आम की फसल थी। हालांकि, रिपोर्ट में औसत उत्पादन 34 टन प्रति एकड़ और औसत मूल्य 7,000 से 10,000 रुपये प्रति टन के बीच बताया गया। इसके आधार पर, उन्होंने अनुमान लगाया कि किसान की कुल बिक्री 9.6 लाख रुपये प्रति एकड़ हो सकती है।
टैक्स अधिकारी की गलती
टैक्स अधिकारी ने इंटरनेट पर मिले लेखों के आधार पर कहा कि आंध्र प्रदेश में आम की औसत कीमत 45,000 रुपये प्रति टन है। इसके अनुसार, उन्होंने किसान की कुल बिक्री 43,20,000 रुपये और खर्च 21,60,000 रुपये मान लिया। शेष 1.2 करोड़ रुपये को उन्होंने अस्पष्टीकृत नकद जमा मानकर धारा 68 के तहत टैक्स योग्य करार दिया।
किसान की अपील
किसान के चार्टर्ड अकाउंटेंट थिरुमाला नायडू ने इस निर्णय के खिलाफ CIT के पास अपील की। अपील में उन्होंने बताया कि आम की कीमतें हर साल और किस्म के अनुसार बदलती हैं। रस वाले आम सस्ते होते हैं, जबकि प्रीमियम किस्में महंगी होती हैं। CIT (A) ने माना कि आम की कीमतों का सही अनुमान लगाना मुश्किल है, जब तक किस्म और गुणवत्ता की जानकारी न हो। इसलिए, CIT (A) ने टैक्स अधिकारी द्वारा की गई 1.2 करोड़ की जोड़ को रद्द कर दिया।
ITAT का निर्णय
ITAT बैंगलोर ने 30 अक्टूबर 2025 को अपने फैसले में कहा कि किसान ने चार ठेकेदारों के हलफनामे प्रस्तुत किए थे, जिन्हें टैक्स अधिकारी ने गलत नहीं ठहराया। सत्यापन इकाई की रिपोर्ट ने भी यह साबित किया कि जमीन पर खेती हुई थी। किसान द्वारा बताए गए खर्च 41 लाख रुपये, टैक्स अधिकारी के अनुमानित खर्च 21 लाख रुपये से अधिक थे। इसलिए, ITAT ने माना कि किसान की आय सही है और टैक्स विभाग का नोटिस गलत था।
विशेषज्ञ की राय
ईटी की रिपोर्ट में मिहिर तन्ना, एसोसिएट डायरेक्टर (SK Patodia LLP), ने कहा कि इस मामले से यह स्पष्ट होता है कि यदि करदाता सभी आवश्यक दस्तावेज और सबूत प्रस्तुत करता है, तो विभाग को केवल इंटरनेट पर मिले आंकड़ों के आधार पर कार्रवाई नहीं करनी चाहिए।