सरकारी कर्मचारियों के लिए ईपीएफओ के नए नियम: जानें क्या बदला है
ईपीएफओ के नए फैसले
कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) ने हाल ही में कई महत्वपूर्ण निर्णयों की घोषणा की है। इसके तहत, ईपीएफओ के बोर्ड ने अपने 7 करोड़ से अधिक सदस्यों के लिए आंशिक निकासी की प्रक्रिया को सरल बनाने का निर्णय लिया है। अब सदस्य अपने ईपीएफ खाते से 100 प्रतिशत तक की राशि निकाल सकेंगे।
श्रम मंत्री मनसुख मंडाविया की अध्यक्षता में हुई बैठक में यह निर्णय लिया गया। श्रम मंत्रालय ने बताया कि इस बैठक में कई महत्वपूर्ण सुधारों पर चर्चा की गई, जो पीएफ निकासी, ब्याज दरों और डिजिटल सेवाओं को प्रभावित करेंगे।
सीबीटी ने 13 जटिल नियमों को मिलाकर एक सरल नियम बनाने का निर्णय लिया है। इसके अंतर्गत, आंशिक निकासी के लिए खर्च को तीन श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है: आवश्यकताएँ (जैसे बीमारी, शिक्षा, विवाह), आवास संबंधी आवश्यकताएँ, और विशेष परिस्थितियाँ।
अब आंशिक निकासी के लिए केवल 12 महीने की सेवा की आवश्यकता होगी। सदस्य अब अपने ईपीएफ खाते की कुल राशि निकाल सकेंगे, जिसमें कर्मचारी और नियोक्ता दोनों का योगदान शामिल है। शिक्षा के लिए 10 बार और विवाह के लिए 5 बार तक निकासी की अनुमति दी गई है।
ईपीएफओ ने यह भी बताया कि पेंडिंग मामलों और जुर्माने को कम करने के लिए 'विश्वास योजना' शुरू की गई है। अब पीएफ जमा में देरी पर जुर्माना घटाकर 1% प्रति माह किया गया है।
ईपीएफओ में हुए 10 बड़े बदलावों में शामिल हैं:
- सदस्यों को अब अपने ईपीएफ खाते से पूरी राशि निकालने की अनुमति है।
- आंशिक निकासी के लिए केवल तीन श्रेणियाँ निर्धारित की गई हैं।
- शिक्षा और विवाह के लिए अधिक बार निकासी की अनुमति।
- सेवा अवधि को घटाकर 12 महीने किया गया है।
- विशेष परिस्थितियों में बिना कारण बताए निकासी की सुविधा।
- सदस्यों के खाते में 25% राशि न्यूनतम बैलेंस के रूप में रखनी होगी।
- आंशिक निकासी प्रक्रिया अब पूरी तरह से ऑटोमेटेड होगी।
- जुर्माने में राहत के लिए 'विश्वास योजना' लागू।
- पेंशनर्स के लिए डिजिटल लाइफ सर्टिफिकेट की सुविधा।
- ईपीएफओ 3.0 के तहत डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन।