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चीनी और जापानी भाषाओं की अनोखी लिपियाँ: एक दिलचस्प अध्ययन

इस लेख में हम चीनी और जापानी भाषाओं की अनोखी लिपियों का अन्वेषण करेंगे। जानें कैसे ये भाषाएँ बिना वर्णमाला के काम करती हैं और उनकी लेखन प्रणालियों की विशेषताएँ क्या हैं। चीनी भाषा की अर्थ पर आधारित लिपि और जापानी भाषा की तीन लिपियों का संगम, इन भाषाओं की विशेषताओं को उजागर करता है। लेखन प्रणालियों की विविधता मानव सभ्यता की बौद्धिक रचनात्मकता को दर्शाती है।
 

बिना वर्णमाला वाली भाषाएँ

बिना अल्फाबेट वाली भाषा! Image Credit source: Getty Images

हर भाषा की अपनी विशेष पहचान होती है, जिसमें लिखने की प्रणाली महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। अधिकांश भाषाएँ, जैसे हिंदी और अंग्रेजी, वर्णमाला का उपयोग करती हैं, लेकिन कुछ भाषाएँ, जैसे चीनी और जापानी, इस नियम से भिन्न हैं। इन भाषाओं में अद्वितीय लिपियाँ हैं, जहाँ प्रतीक केवल ध्वनियों का प्रतिनिधित्व नहीं करते, बल्कि अर्थ भी व्यक्त करते हैं। यह विशेषता इन्हें अन्य भाषाओं से अलग और रोचक बनाती है। लेखन प्रणालियों की यह विविधता मानव सभ्यता की बौद्धिक रचनात्मकता का प्रतीक है.

चीनी भाषा: अर्थ पर आधारित लिपि

चीनी भाषा की लेखन प्रणाली विश्व की सबसे प्राचीन प्रणालियों में से एक मानी जाती है। इसमें वर्णमाला के बजाय प्रतीकों का उपयोग होता है, जिन्हें अक्षर कहा जाता है। हर अक्षर किसी वस्तु, विचार या अर्थ को दर्शाता है। पढ़ाई और लेखन के लिए लगभग 3,000 सामान्य अक्षरों को पहचानना आवश्यक है.

प्राचीन समय में ये अक्षर हड्डियों और कांस्य पर खुदे हुए पाए गए थे। प्रारंभिक रूप चित्रों के समान थे, जो वस्तुओं का प्रतिनिधित्व करते थे। समय के साथ इन प्रतीकों का आकार बदला, लेकिन उनका विचार-आधारित स्वरूप बना रहा। उदाहरण के लिए, अंग्रेज़ी में CAT लिखा जाता है, जबकि चीनी में बिल्ली के लिए एक विशेष चिन्ह होता है.

इन अक्षरों को छोटे घटकों, जिन्हें मूलाक्षर (Radicals) कहा जाता है, से बनाया जाता है। ये घटक अर्थ या उच्चारण का संकेत देते हैं। चीनी लिपि कठिन लग सकती है, लेकिन इसके सौंदर्य और गहराई के कारण इसे सीखना एक आकर्षक अनुभव होता है.

जापानी भाषा: तीन लिपियों का संगम

जापानी लेखन प्रणाली एक साथ तीन अलग-अलग लिपियों का उपयोग करती है: कांजी, हिरागाना और कटकाना.

  • कांजी: चीनी से ली गई लिपि है, जो अर्थ दर्शाती है.
  • हिरागाना: प्रत्येक प्रतीक एक पूर्ण ध्वनि दर्शाता है, जैसे का, मी, तो.
  • कटकाना: इसका उपयोग विदेशी शब्दों या नामों को लिखने में होता है.

जापानी लिपि को वर्णमाला नहीं कहा जा सकता क्योंकि इसमें A, B, C की तरह अलग-अलग ध्वनियों के प्रतीक नहीं हैं। यह प्रणाली अर्थ और ध्वनि दोनों का मिश्रण है, जिससे यह बेहद लचीली और अभिव्यक्तिपूर्ण बनती है.

अन्य लेखन प्रणालियाँ और रोचक तथ्य

हर भाषा वर्णमाला पर निर्भर नहीं होती। कुछ अन्य प्रमुख लेखन प्रणालियाँ हैं:

  • लॉगोग्राफिक (जैसे चीनी): प्रतीक अर्थ दर्शाते हैं.
  • सिलेबिक (जैसे जापानी काना): प्रतीक पूरी ध्वनि को दिखाते हैं.
  • अबजाद (जैसे अरबी, हिब्रू): मुख्यतः व्यंजन लिखे जाते हैं, स्वर संदर्भ से समझे जाते हैं.
  • अबुगिडा (जैसे हिंदी की देवनागरी): व्यंजन में स्वर जोड़कर अक्षर बनाए जाते हैं.

कई भाषाएँ अब भी केवल मौखिक परंपरा में जीवित हैं, जहाँ कहानियाँ और इतिहास लिपि की बजाय वाणी से आगे बढ़ते हैं.

लेखन प्रणालियाँ समय के साथ विकसित हुई हैं, चित्रों से शुरू होकर ये आज की ध्वनि-आधारित लिपियों में परिवर्तित हो गई हैं, जो मानव बुद्धि की अद्भुत यात्रा को दर्शाती हैं.

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