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आईआईटी मद्रास का नया ग्लूकोज मीटर: शुगर मैनेजमेंट में क्रांति

आईआईटी मद्रास ने एक नया ग्लूकोज मीटर पेश किया है, जो बिना सूई के शुगर की जांच करने की सुविधा प्रदान करता है। यह उपकरण मॉड्यूलर सिस्टम और माइक्रोनीडल सेंसर से लैस है, जिससे डायबिटीज के मरीजों को शुगर लेवल की निगरानी में आसानी होगी। जानें इस डिवाइस के कार्य करने का तरीका और इसके लाभ।
 

आईआईटी मद्रास का अभिनव ग्लूकोज मीटर

शुगर चेक करने की नई मॉर्डन मशीनImage Credit source: Pexels

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) मद्रास ने एक नया ग्लूकोज मीटर विकसित किया है, जो न केवल अत्याधुनिक है बल्कि किफायती भी है। इसमें मॉड्यूलर सिस्टम और माइक्रोनीडल सेंसर जैसे विशेषताएँ शामिल हैं। इस नई तकनीक के माध्यम से शुगर की जांच करते समय सूई के उपयोग से मुक्ति मिल सकती है। वर्तमान में, डायबिटीज एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या बन चुकी है, जो तेजी से बढ़ रही है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की रिपोर्ट के अनुसार, भारत उन देशों में शामिल है जहाँ डायबिटीज के रोगियों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। लाखों लोग प्रीडायबिटिक अवस्था में हैं, और कई को इसकी जानकारी भी नहीं है। खराब खानपान, मोटापा, तनाव, और अस्वस्थ जीवनशैली इसके मुख्य कारण हैं। बच्चों में भी यह समस्या बढ़ती जा रही है। यदि शुगर का स्तर लगातार ऊँचा रहता है, तो यह कई अंगों को नुकसान पहुँचा सकता है। इसलिए नियमित मॉनिटरिंग आवश्यक है। इसी समस्या के समाधान के लिए आईआईटी मद्रास ने एक बिना चुभन वाला ग्लूकोज मॉनिटरिंग उपकरण विकसित किया है, जो मरीजों के लिए नई सुविधा प्रदान कर सकता है।


आईआईटी मद्रास का ग्लूकोज मॉनिटरिंग डिवाइस कैसे कार्य करता है?

यह नया ग्लूकोज मॉनिटरिंग डिवाइस पारंपरिक फिंगर-प्रिक तकनीक से अलग है। यह एक पहनने योग्य माइक्रो-नीडल पैच है, जिसे त्वचा पर लगाया जाता है। पैच में मौजूद माइक्रो-नीडल्स बहुत पतली होती हैं, जो त्वचा की ऊपरी परत को बिना दर्द के छूती हैं। ये सुइयां खून निकालने के बजाय त्वचा के नीचे के इंटरस्टिशियल फ्लूड से ग्लूकोज का स्तर मापती हैं। यह तरल रक्त प्रवाह के ठीक बाद बनता है, इसलिए इसमें मौजूद ग्लूकोज की मात्रा रक्त के समान सटीक होती है।

यह उपकरण दो भागों में विभाजित है: एक इलेक्ट्रॉनिक यूनिट और एक डिस्पोज़ेबल माइक्रो-नीडल पैच। इलेक्ट्रॉनिक यूनिट सेंसर से डेटा लेकर पैच पर लगे लो-पावर डिस्प्ले पर शुगर लेवल प्रदर्शित करती है, जिससे मोबाइल ऐप या ब्लूटूथ की आवश्यकता नहीं होती। यह तकनीक लंबे समय तक लगातार ग्लूकोज की निगरानी करने में सक्षम है, जिससे डायबिटीज के मरीज दिनभर के उतार-चढ़ाव को आसानी से देख सकते हैं। वर्तमान में, इस डिवाइस का कोई आधिकारिक नाम नहीं है, इसलिए इसे पहनने योग्य ग्लूकोज मॉनिटरिंग डिवाइस या Continuous Glucose Monitoring (CGM) डिवाइस कहा जा रहा है।


शुगर लेवल कैसे मापा जाता है?

सामान्य फास्टिंग शुगर का स्तर 70-99 mg/dL होता है, जबकि 126 mg/dL से ऊपर जाने पर इसे हाई शुगर या हाइपरग्लाइसीमिया कहा जाता है। 70 mg/dL से कम होने पर लो शुगर या हाइपोग्लाइसीमिया की स्थिति बनती है। शुगर बढ़ने पर थकान, बार-बार प्यास लगना, अधिक भूख लगना और वजन घटना जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। लो शुगर में चक्कर, पसीना, कमजोरी और गंभीर स्थिति में बेहोशी तक हो सकती है। घर पर शुगर जांचने के लिए आमतौर पर ग्लूकोमीटर और स्ट्रिप्स का उपयोग किया जाता है, जिसमें उंगली में चुभन देकर ब्लड सैंपल लिया जाता है। इस संदर्भ में, आईआईटी मद्रास ने बिना सुई के उपयोग वाला ग्लूकोज मॉनिटरिंग डिवाइस तैयार किया है।


शुगर लेवल कंट्रोल रखने के उपाय

रोजाना 30-40 मिनट की वॉक या एक्सरसाइज करें।

चीनी, मैदा और तली चीजें कम खाएं।

पर्याप्त पानी पिएं और नींद पूरी लें।

भोजन में फाइबर, सलाद, और हरी सब्जियाँ बढ़ाएं।

तनाव कम करने के लिए योग, ध्यान या गहरी सांस लेने का अभ्यास करें।

नियमित रूप से शुगर की जांच करते रहें।

डॉक्टर द्वारा निर्धारित दवाइयों को समय पर लें।