अयोध्या में राम दरबार की अद्वितीय मूर्तियों का निर्माण
जयपुर के मूर्तिकारों की अनोखी कृति
जयपुर के प्रसिद्ध मूर्तिकार सत्य नारायण पांडेय और उनके बेटे प्रशांत पांडेय ने अयोध्या में राम दरबार की मूर्तियों का निर्माण किया है। यह परिवार मूर्तिकला की चौथी पीढ़ी है जो गर्भ गृह की प्रतिमाएं तैयार कर रहा है।
उनके वर्षों के अनुभव और गहरी आस्था ने इस कार्य को एक साधना में बदल दिया। राम दरबार की मुख्य मूर्ति के लिए पिता-पुत्र ने गहन शोध किया और अंततः उन्हें एक प्राचीन पत्थर मिला, जिसे शास्त्रों में 'कृष्ण शिला' कहा जाता है। यह पत्थर सीता राम की संयुक्त मूर्ति का आधार बना।
यह पत्थर इतना विशेष था कि इसने एक अलौकिक रूप धारण किया। मूर्ति तराशते समय, सत्य नारायण पांडेय ने पहले श्री राम के हाथ और वक्ष भाग को आकार दिया। इस प्रक्रिया में, पत्थर का वह हिस्सा श्यामल हो गया, जबकि माता सीता का स्थान गौरवर्ण का बना रहा। पांडेय इसे कुदरत का चमत्कार मानते हैं।
राम दरबार का जीवंत दृश्य
राम दरबार में एक ही शिला से तराशी गई सीता राम की युगल प्रतिमा है। पीछे की पंक्ति में लक्ष्मण और शत्रुघ्न हैं, जबकि सामने दास भाव में बैठे हनुमान हैं। इसी पंक्ति में भरत का स्थान भी है।
पूरे समूह को इस तरह सजाया गया है कि भक्तों को दर्शन करते समय परिवार-भाव की पूर्ण अनुभूति हो।
आस्था का प्रतीक
मूर्ति निर्माण के दौरान कार्यशाला के आसपास बार-बार मोरों का नाचना और बंदरों का अनायास आना मूर्तिकारों के लिए एक संकेत था। प्रशांत पांडेय का मानना है कि ये घटनाएं प्रभु की उपस्थिति का संकेत थीं।
मंदिर का वातावरण अत्यंत ऊर्जावान था, जिससे शिल्पकारों ने एक अलग स्पंदन महसूस किया। पत्थर की नाजुकता के कारण उन्हें अत्यधिक सावधानी बरतनी पड़ी। हर हथौड़ी और छैनी की चोट के साथ वे मानसिक जाप करते रहे, ताकि प्रतिमा पर भक्तिभाव बना रहे।
भक्ति का महत्व
सत्य नारायण पांडेय के अनुसार, 'जब कलाकार भक्ति और आनंद में डूबकर मूर्ति गढ़ता है, तब भगवान भी आनंदित होते हैं।' यही भाव सीता राम की प्रतिमा में स्पष्ट झलकता है, जहाँ कोमलता और दिव्यता एक साथ दिखाई देती है।
मूर्ति की विशेषताएँ
- एक ही पत्थर में दो रंग—माता सीता गौरवर्ण, प्रभु राम श्यामवर्ण
- पीढ़ियों का शिल्पज्ञान—चौथी पीढ़ी की अनुभवी कला
- पूर्ण पारिवारिक दृश्य—सीता राम के साथ भरत, लक्ष्मण, शत्रुघ्न और हनुमान
- प्राकृतिक संकेत—मोर और बंदर की बार-बार उपस्थिति
- भक्ति आधारित तकनीक—हर प्रहार के साथ मंत्र और ध्यान
भक्तों के लिए संदेश
पांडेय परिवार का मानना है कि मूर्ति केवल पत्थर नहीं, बल्कि श्रद्धालुओं के विश्वास का साकार रूप है। वे आग्रह करते हैं कि दर्शन करते समय भक्त इस चमत्कारिक रंग-भेद को अवश्य देखें, जिसमें प्रभु राम का नील वर्ण और माता सीता का गौर वर्ण साथ-साथ चमकता है। यह दृश्य भक्त-हृदय में रमता और प्रार्थना को और गहरा बना देता है।