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सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड ने निवेशकों को दिया 380% का शानदार रिटर्न

सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (SGB) ने हाल ही में निवेशकों को 380% का शानदार रिटर्न दिया है। 2017-18 की सीरीज XIII के तहत जारी किए गए इन बॉंड्स ने सोने की कीमतों में वृद्धि का पूरा लाभ उठाया। आरबीआई द्वारा निर्धारित रिडेम्पशन मूल्य 13,563 रुपये प्रति यूनिट है। इस लेख में जानें कि कैसे निवेशकों ने इस अवधि में लाभ कमाया और SGB के अन्य लाभ क्या हैं।
 

सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड का शानदार रिटर्न

सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड रिटर्न

सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (SGB) में निवेश करने वाले लोगों के लिए यह एक सुखद समाचार है। 2017-18 की सीरीज XIII के सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड हाल ही में मैच्योर हुए हैं, और निवेशकों को सोने की कीमतों में आई भारी वृद्धि का पूरा लाभ मिला है। भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा निर्धारित अंतिम रिडेम्पशन मूल्य के अनुसार, इस सीरीज ने लगभग 380 प्रतिशत का एब्सोल्यूट रिटर्न प्रदान किया है, जिसने SGB को भौतिक सोने की तुलना में एक बेहतर विकल्प साबित किया है।

13563 रुपये पर हुआ बॉन्ड का रिडेम्पशन

आरबीआई ने SGB 2017-18 सीरीज XIII के लिए अंतिम रिडेम्पशन मूल्य 13,563 रुपये प्रति यूनिट निर्धारित किया। यह बॉन्ड 26 दिसंबर 2025 को मैच्योर हुआ, और यह मूल्य मैच्योरिटी से ठीक पहले के तीन कारोबारी दिनों में 999 शुद्धता वाले सोने की औसत कीमत के आधार पर तय किया गया। पिछले आठ वर्षों में घरेलू बाजार में सोने की कीमतों में आई तेजी इस ऊंचे रिडेम्पशन मूल्य का मुख्य कारण रही है।

कितनी कीमत पर खरीदा गया था SGB?

जब यह सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड दिसंबर 2017 में जारी हुआ था, तब इसका इश्यू मूल्य 2,866 रुपये प्रति ग्राम था। ऑनलाइन आवेदन करने वाले निवेशकों को थोड़ी छूट भी मिली थी, जिससे उन्हें यह बॉन्ड 2,816 रुपये प्रति यूनिट में प्राप्त हुआ। उस समय यह मूल्य सामान्य निवेशकों के लिए काफी आकर्षक माना गया था।

निवेशकों को कितना फायदा हुआ?

जिन निवेशकों ने यह बॉन्ड ऑनलाइन खरीदा और इसे आठ वर्षों तक रखा, उन्हें प्रति यूनिट लगभग 10,700 रुपये का लाभ हुआ। प्रतिशत के हिसाब से यह लगभग 380% का एब्सोल्यूट रिटर्न बनता है। यह रिटर्न पूरी तरह से सोने की कीमतों में आई मजबूती का परिणाम है।

इसके अलावा, SGB की एक विशेषता यह है कि इसमें निवेशकों को हर साल 2.5% का निश्चित ब्याज भी मिलता है, जो हर छह महीने में उनके खाते में जमा होता है। यदि इस ब्याज को जोड़ा जाए, तो कुल रिटर्न और भी बेहतर हो जाता है।

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सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड क्यों है खास?

सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड भारत सरकार द्वारा जारी किया जाता है और आरबीआई इसे प्रबंधित करता है। यह भौतिक सोने का एक सुरक्षित विकल्प माना जाता है। इसमें न तो सोने को रखने की चिंता होती है और न ही उसकी शुद्धता को लेकर कोई जोखिम। निवेशक इसे कागजी या डीमैट फॉर्म में रख सकते हैं और आवश्यकता पड़ने पर एक्सचेंज पर बेच भी सकते हैं।

रिडेम्पशन के समय क्या होता है?

जो निवेशक बॉन्ड को मैच्योरिटी तक रखते हैं, उन्हें रिडेम्पशन की राशि सीधे उनके रजिस्टर्ड बैंक खाते में मिलती है। आमतौर पर आरबीआई निवेशकों को पहले ही इसकी जानकारी दे देता है। यदि किसी ने बैंक विवरण या संपर्क जानकारी बदली हो, तो समय पर अपडेट करना आवश्यक होता है ताकि भुगतान में देरी न हो।

SGB निवेश में ध्यान देने वाली बात

SGB में सबसे बड़ा जोखिम सोने की कीमतों के उतार-चढ़ाव से जुड़ा होता है। यदि मैच्योरिटी के समय सोने के भाव कम हों, तो रिटर्न घट सकता है। हालांकि, लंबे समय में देखें तो SGB 2017-18 सीरीज XIII ने यह साबित कर दिया है कि धैर्य रखने वाले निवेशकों के लिए सोना और सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड दोनों ही अत्यंत लाभकारी साबित हो सकते हैं.