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शिक्षक दिवस पर दिल्ली टीचर्स यूनिवर्सिटी में विशेष परिचर्चा आयोजित

दिल्ली टीचर्स यूनिवर्सिटी ने शिक्षक दिवस के अवसर पर 'शिक्षक होने का धर्म' विषय पर एक विशेष परिचर्चा का आयोजन किया। इस कार्यक्रम में शिक्षण के आदर्शों और शिक्षक की भूमिका पर चर्चा की गई। प्रमुख वक्ता डॉ. जतीन्द्र बजाज ने शिक्षा के मानवीय मूल्यों की पुनर्स्थापना की आवश्यकता पर जोर दिया। वरिष्ठ पत्रकार राम बहादुर राय ने भी शिक्षकों के जीवन मूल्यों के निर्माण की बात की। कार्यक्रम में कई शिक्षाविद और विद्यार्थी शामिल हुए, जिन्होंने सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ भी दीं।
 

शिक्षक दिवस पर आयोजित कार्यक्रम

नई दिल्ली। शिक्षक दिवस के अवसर पर दिल्ली टीचर्स यूनिवर्सिटी ने "शिक्षक होने का धर्म" विषय पर एक विशेष परिचर्चा का आयोजन किया। इस कार्यक्रम में शिक्षण के आदर्शों, उत्तरदायित्वों और बदलते शैक्षिक परिदृश्य में शिक्षक की भूमिका पर गहन विमर्श हुआ।




कार्यक्रम के मुख्य वक्ता पद्मश्री डॉ. जतीन्द्र बजाज ने बताया कि शिक्षक केवल ज्ञान के प्रवाहक नहीं होते, बल्कि वे परंपरा, इतिहास, कौशल, भूगोल और सामाजिक जिम्मेदारियों के भी संवाहक होते हैं। उन्होंने भारतीय परंपरा में गुरु-शिष्य संबंध की महत्ता को उजागर करते हुए वर्तमान समय में शिक्षा के मानवीय मूल्यों को पुनर्स्थापित करने की आवश्यकता पर जोर दिया। उनका कहना था कि जितना विस्तृत हमारा इतिहास होगा, हमारी दृष्टि उतनी ही व्यापक होगी।




कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ पत्रकार और चिंतक पद्म भूषण राम बहादुर राय ने की। उन्होंने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि शिक्षक का धर्म केवल पढ़ाना नहीं है, बल्कि विद्यार्थियों के जीवन मूल्यों का निर्माण करना भी है। उन्होंने एस राधाकृष्णन के जीवन के संघर्ष और उनके आदर्श शिक्षक बनने की प्रक्रिया पर प्रकाश डालते हुए कहा कि अच्छे शिक्षक को पहचानने वाले लोगों की भी आवश्यकता होती है। यदि कोई शिक्षा में अनुशासन और समर्पण के साथ कार्य करता है और उसकी भावी पीढ़ी शिक्षक बनने के लिए प्रेरित होती है, तो यह अत्यंत श्रेयस्कर होगा।




इस अवसर पर प्रो. अनु सिंह लाठर, कुलपति, दिल्ली टीचर्स यूनिवर्सिटी और प्रो. रंजना झा, कुलपति, इंदिरा गांधी दिल्ली टेक्निकल यूनिवर्सिटी फॉर वीमेन (IGDTUW) ने भी अपनी गरिमामय उपस्थिति से कार्यक्रम को विशेष बनाया। दोनों कुलपतियों ने उच्च शिक्षा संस्थानों के बीच सहयोग की संभावनाओं और शिक्षक शिक्षा को और अधिक प्रासंगिक बनाने की दिशा में विचार साझा किए। विश्वविद्यालय की ओर से रजिस्ट्रार डॉ संजीव राय ने सभी अतिथियों का स्वागत किया।




कार्यक्रम में डॉ राजेश प्रसाद सिंह, डॉ नसीरुद्दीन, डॉ विनोद, डॉ जय शंकर सहित बड़ी संख्या में शिक्षक-शिक्षा से जुड़े शोधार्थी, शिक्षाविद और विद्यार्थी शामिल हुए। छात्रों ने सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया। आभार ज्ञापन विभागाध्यक्ष डॉ सरोज मलिक ने किया।