×

रावण की हार: कार्तवीर्य अर्जुन ने किया बंदी

इस लेख में हम जानेंगे कि कैसे लंकापति रावण का सामना राजा कार्तवीर्य अर्जुन से हुआ, जिन्होंने उसे युद्ध में पराजित कर बंदी बना लिया। कार्तवीर्य अर्जुन की शक्ति और उनके सहस्त्रभुजाओं के वरदान के बारे में भी जानकारी मिलेगी। इसके साथ ही, रावण की मुक्ति का रहस्य और ओंकारेश्वर का महत्व भी उजागर होगा।
 

रावण का परिचय

रावण, जिसे लंकापति के नाम से भी जाना जाता है, एक अत्यंत शक्तिशाली सम्राट थे। उनका श्रीराम के साथ युद्ध इतिहास में प्रसिद्ध है, जिसमें भगवान श्रीराम ने उन्हें वानर सेना के साथ पराजित किया था। लेकिन क्या आप जानते हैं कि रावण का सामना राम से पहले मध्य प्रदेश के एक राजा से भी हुआ था, जिसने उसे बंदी बना लिया था?


राजा कार्तवीर्य अर्जुन

इस राजा का नाम कार्तवीर्य अर्जुन था, जो प्राचीन हैहय वंश के शासक थे। महाभारत में भी उनका उल्लेख मिलता है। कार्तवीर्य अर्जुन प्राचीन माहिष्मति नगरी के राजा थे, जो आज के मध्य प्रदेश के महेश्वर के रूप में जानी जाती है। वे राजा कृतवीर्य के पुत्र थे और उनका राज्य नर्मदा नदी के किनारे स्थित था, जिसे उन्होंने कार्कोटक नाग से जीतकर स्थापित किया था.


सहस्त्रबाहु अर्जुन का वरदान

कार्तवीर्य अर्जुन को सहस्त्रबाहु अर्जुन के नाम से भी जाना जाता था। मान्यता है कि उनके पास एक हजार भुजाओं का वरदान था। कुछ लोग मानते हैं कि उनके पास एक हजार सेनाएं थीं, जिससे उन्हें यह नाम मिला। वे दत्तात्रेय के बड़े भक्त थे.


रावण की पराजय

राजा कार्तवीर्य अर्जुन एक शक्तिशाली सम्राट थे, जिनके वंशजों ने माहिष्मती की स्थापना की थी। यह प्राचीन काल में अनूप महाजनपद के रूप में जाना जाता था। रामायण काल में इसे माहिष्मती कहा जाता था, जो एक शक्तिशाली साम्राज्य था। एक बार, उन्होंने लंकाधिपति रावण को बंदी बना लिया था.


शिवजी के आदेश पर मुक्ति

कहा जाता है कि राजा कार्तवीर्य अर्जुन ने रावण को युद्ध में पराजित किया और उसे बंदी बना लिया। लेकिन रावण भगवान शिव के भक्त थे, और शिवजी के आदेश पर पुल्तस्य ऋषि ने रावण को कार्तवीर्य अर्जुन की कैद से मुक्त किया। इस घटना का उल्लेख शास्त्रों में भी मिलता है.


नर्मदा नदी का जलविहार

हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, सहस्त्रबाहु नर्मदा नदी में जल विहार कर रहे थे। उन्होंने अपनी हजार भुजाओं से नर्मदा के जल का प्रवाह रोक दिया। रावण का शिविर भी नर्मदा के किनारे था, और जल का प्रवाह रुकने से शिविर में जल भराव होने लगा। जब रावण इसका कारण जानने पहुंचे, तो उनका सामना कार्तवीर्य अर्जुन से हुआ.


युद्ध का परिणाम

चूंकि कार्तवीर्य अर्जुन को युद्ध में कभी हार नहीं मिली थी, इसलिए रावण की हार निश्चित थी। यह युद्ध एकतरफा था, जिसमें कार्तवीर्य अर्जुन ने अपनी हजार भुजाओं से रावण को पकड़ लिया और उसे अपनी राजधानी माहिष्मति ले जाकर बंदी बना लिया.


ओंकारेश्वर का महत्व

जहां रावण बंदी बने थे, वहां ओंकारेश्वर नाम का एक पवित्र स्थान है, जो 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। यह नर्मदा नदी के किनारे स्थित है और पहले इसे मान्धाता नगरी के नाम से जाना जाता था। इसकी स्थापना इक्ष्वाकु वंश के राजा मुचुकुन्द ने अपने पूर्वज मान्धाता के नाम पर की थी.