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भारत की 2nm चिप तकनीक: सेमीकंडक्टर क्रांति की ओर एक कदम

भारत ने 2nm चिप तकनीक में कदम रखा है, जो उसे वैश्विक सेमीकंडक्टर हब बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। बेंगलुरु में ARM का नया सेंटर इस तकनीक पर काम करेगा, जिससे भारत को उच्च तकनीक चिप्स के निर्माण में शामिल किया जाएगा। यह चिप्स स्मार्टफोन्स और AI उपकरणों में बेहतर प्रदर्शन के लिए सक्षम होंगी। 2030 तक, भारत का सेमीकंडक्टर बाजार में योगदान 100-110 अरब डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है। जानें इस तकनीक के महत्व और भारत की तैयारी के बारे में।
 

भारत में 2nm चिप का विकास

सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने 16 सितंबर को बेंगलुरु में ARM का नया सेंटर खोला है, जहां 2nm चिप पर कार्य किया जाएगा। Image Credit source: Getty Images

भारत की चिप क्रांति में 2nm चिप का महत्व: भारत ने अगली पीढ़ी की सेमीकंडक्टर तकनीक में कदम रखा है। बेंगलुरु में एआरएम का नया डिजाइन ऑफिस 2 नैनोमीटर (nm) चिप तकनीक पर काम करेगा, जिससे भारत उन देशों की सूची में शामिल हो जाएगा जो अत्याधुनिक चिप्स का निर्माण कर सकते हैं। यह तकनीक भारत को वैश्विक सेमीकंडक्टर केंद्र बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। आइए जानते हैं 2nm चिप क्या है और यह भारत के लिए कैसे गेम चेंजर हो सकती है।

भारत में 2nm चिप का निर्माण

केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि भारत ने 2nm चिप बनाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। ये चिप्स भारत में ही निर्मित और डिजाइन किए जाएंगे। ब्रिटिश सेमीकंडक्टर कंपनी ARM इस परियोजना पर काम करेगी। यह चिप्स बेंगलुरु में डिजाइन किए जाएंगे। उल्लेखनीय है कि 16 सितंबर को मंत्री ने बेंगलुरु में ARM का नया सेंटर खोला है। इससे पहले, मई 2025 में नोएडा और बेंगलुरु में 3nm चिप डिजाइन सेंटर स्थापित किए गए थे।

2nm चिप क्या है और इसकी विशेषताएँ

सेमीकंडक्टर चिप्स में लाखों ट्रांजिस्टर होते हैं जो विद्युत प्रवाह को नियंत्रित करते हैं। ट्रांजिस्टर जितने छोटे होंगे, चिप उतनी ही तेज और कम ऊर्जा में कार्य करेगी। 2nm तकनीक का अर्थ है ट्रांजिस्टर का और भी छोटा आकार, जिससे स्मार्टफोन्स, AI उपकरणों और सुपरकंप्यूटिंग में बेहतर प्रदर्शन संभव होगा। अब तक केवल ताइवान, दक्षिण कोरिया, अमेरिका, चीन और जापान इस तकनीक के करीब थे। भारत की इस दिशा में एंट्री इसे वैश्विक तकनीकी नेताओं की कतार में खड़ा करती है। वर्तमान में, फ्लैगशिप स्मार्टफोन्स जैसे आईफोन और सैमसंग गैलेक्सी में 3nm चिप्स का उपयोग हो रहा है, और अगले एक-दो वर्षों में 2nm चिप्स का उपयोग शुरू हो सकता है।

भारत के लिए 2nm चिप का महत्व

2030 तक वैश्विक सेमीकंडक्टर बाजार का आकार 1 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है, जिसमें भारत का योगदान 100-110 अरब डॉलर तक हो सकता है। 2nm तकनीक की दिशा में उठाया गया यह कदम 'मेक इन इंडिया' और 'आत्मनिर्भर भारत' को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा और भारत को वैश्विक चिप सप्लाई चेन में एक मजबूत विकल्प के रूप में स्थापित करेगा।

भारत की चिप निर्माण की तैयारी

सरकार की इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन के तहत अब तक 6 राज्यों में 10 परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है, जिसमें कुल 1.6 लाख करोड़ रुपये का निवेश होगा। इस मिशन के तहत 76,000 करोड़ रुपये की सरकारी सहायता भी निर्धारित की गई है। पिछले 11 वर्षों में देश में इलेक्ट्रॉनिक्स निर्माण 6 गुना बढ़ा है, जिससे सेमीकंडक्टर की मांग तेजी से बढ़ रही है। सरकार की योजना केवल असेंबली तक सीमित नहीं है, बल्कि डिजाइन और निर्माण में आत्मनिर्भरता हासिल करना है।