भारत का गगनयान मिशन: 2026 में ऐतिहासिक अंतरिक्ष अभियान की तैयारी
गगनयान मिशन की तैयारी
गगनयान मिशन: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) और देश का स्पेस सेक्टर 2026 में कई महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक अभियानों की योजना बना रहा है। गगनयान से लेकर निजी कंपनियों द्वारा रॉकेट लॉन्च तक, अगले वर्ष भारत की अंतरिक्ष में उपस्थिति और भी मजबूत होने की संभावना है। खास बात यह है कि इस प्रक्रिया में केवल ISRO ही नहीं, बल्कि निजी कंपनियां भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली हैं।
हाल ही में, ISRO ने अमेरिका की निजी कंपनी ATS SpaceMobile के BlueBird Block-2 सैटेलाइट को LVM-3 रॉकेट से सफलतापूर्वक लॉन्च किया। यह अब तक का सबसे बड़ा निजी संचार सैटेलाइट है। इस मिशन के बाद ISRO के भारी रॉकेट की क्षमता पर विश्वास और बढ़ा है। ISRO के प्रमुख वी. नारायणन ने कहा कि भारत अब अंतरिक्ष क्षेत्र में विकसित देशों के समकक्ष खड़ा नजर आ रहा है। इस सफलता ने गगनयान मिशन को आगे बढ़ाने का आत्मविश्वास भी प्रदान किया है।
गगनयान का पहला बिना मानव वाला परीक्षण उड़ान 2026 का सबसे महत्वपूर्ण मिशन होगा। यह मिशन 2027 में होने वाली मानव अंतरिक्ष उड़ान की नींव रखेगा। गगनयान भारत का पहला मानव अंतरिक्ष मिशन है, जिसमें तीन भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को लो-अर्थ ऑर्बिट में भेजा जाएगा और फिर सुरक्षित वापस लाया जाएगा। इस परीक्षण मिशन में इंसानों की जगह एक विशेष रोबोट व्योमित्रा भेजा जाएगा, जिसका कार्य मानव सुरक्षा से संबंधित सभी सिस्टम और परिस्थितियों का परीक्षण करना है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि अंतरिक्ष यात्री पूरी तरह सुरक्षित रहेंगे।
इस उड़ान में LVM-3 रॉकेट की क्षमता, अंतरिक्ष यान की संरचना, धरती के वातावरण में वापसी और समुद्र या जमीन पर कैप्सूल की सुरक्षित रिकवरी जैसे सभी पहलुओं की सही जांच की जाएगी। ISRO के अनुसार, 2026 में ऐसे दो बिना मानव वाले मिशन हो सकते हैं, जबकि असली मानव मिशन 2027 में किया जाएगा। सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए, यह मिशन पहले भी टल चुका है।
2026 में पहली बार, PSLV रॉकेट पूरी तरह से एक निजी कंपनी द्वारा निर्मित किया जाएगा। हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड और एलएंडटी को 2023 में इसका जिम्मा सौंपा गया था। यह रॉकेट ISRO के सबसे विश्वसनीय लॉन्च वाहनों में से एक है और चंद्रयान-1 जैसे मिशनों को इसी से लॉन्च किया गया है। सरकार चाहती है कि रॉकेट निर्माण का कार्य निजी और सरकारी कंपनियों द्वारा किया जाए, ताकि ISRO अनुसंधान और नई तकनीक पर अधिक ध्यान केंद्रित कर सके। पहला PSLV 2026 की पहली तिमाही में Oceansat-3A या EOS-10 को लेकर उड़ान भरेगा।
Oceansat-3A समुद्र से संबंधित जानकारी एकत्र करने वाला यान होगा, जो समुद्र की स्थिति, मछली पकड़ने के क्षेत्रों, तटीय क्षेत्रों, मौसम और समुद्री जीवन को समझने में मदद करेगा। इसमें समुद्र के रंग और सतह के तापमान को मापने वाले विशेष उपकरण होंगे।
2026 में, ISRO एक टेक्नोलॉजी डेमो सैटेलाइट भी लॉन्च करेगा, जिसे TDS-1 कहा जाएगा। यह सैटेलाइट भविष्य की अंतरिक्ष तकनीकों का परीक्षण करने के लिए होगा और इसे PSLV से लॉन्च किया जाएगा। इस मिशन में बिजली से चलने वाले नए प्रोपल्शन सिस्टम का परीक्षण किया जाएगा, जो कम ईंधन में अधिक कार्य करेगा। इसके अलावा, सैटेलाइट संचार के लिए पूरी तरह से देश में निर्मित ट्रैवलिंग वेव ट्यूब एम्प्लीफायर का भी परीक्षण किया जाएगा।
स्काईरूट एयरोस्पेस अपनी रॉकेट विक्रम-1 को लॉन्च करने की योजना बना रहा है, जो भारत की पहली निजी रॉकेट होगी, जो लो-अर्थ ऑर्बिट तक पहुंच सकेगी। इसकी तारीख अभी तय नहीं हुई है, लेकिन कंपनी की वेबसाइट के अनुसार, यह लॉन्च 2026 में होगा। विक्रम-1 देश और विदेश की कंपनियों के सैटेलाइट को अंतरिक्ष में पहुंचाएगा।
भारत और मॉरीशस मिलकर एक सैटेलाइट भी लॉन्च करेंगे, जिसे 2024 में मंजूरी मिली थी। इस सैटेलाइट का खर्च भारत ने उठाया है, लेकिन इसे बनाने में दोनों देशों के इंजीनियरों ने सहयोग किया है। यह एक छोटा सैटेलाइट होगा, जो तस्वीरें लेने में सक्षम होगा, और इसके 2026 तक लॉन्च होने की उम्मीद है.