दिल्ली में कृत्रिम बारिश की तैयारी: सियासी विवाद और परीक्षणों की चर्चा
दिल्ली में प्रदूषण और कृत्रिम बारिश का मुद्दा
मनजिंदर सिरसा और सौरभ भारद्वाज.
दिल्ली में सर्दियों के दौरान प्रदूषण एक गंभीर समस्या बन जाती है, विशेषकर दीपावली के समय। दिल्ली सरकार ने दावा किया था कि ग्रीन पटाखों और पुराने वाहनों की अनुमति देने के बावजूद, शहर में हवा की गुणवत्ता में सुधार होगा। हालांकि, कृत्रिम बारिश के प्रयासों को लेकर अब विवाद शुरू हो गया है। जबकि वास्तविक बारिश अभी दूर है, राजनीतिक बहस तेज हो गई है। सरकार इसे सफल बताती है, जबकि विपक्ष इसे विफलता और जनता के पैसे की बर्बादी करार दे रहा है।
दिल्ली सरकार के मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने एक मीडिया चैनल से बातचीत में कहा कि क्लाउड सीडिंग के प्रयासों में सफलता की कमी नहीं है। उन्होंने बताया कि यह एक परीक्षण है और इसके परिणामों का अध्ययन किया जा रहा है। वर्तमान में, दिल्ली में क्लाउड सीडिंग का परीक्षण केवल एक छोटे क्षेत्र में किया जा रहा है, जिसका उद्देश्य यह जानना है कि कितनी नमी पर बारिश संभव है। पहले परीक्षण में 10 से 15% नमी पर काम किया गया था।
कृत्रिम बारिश के अगले परीक्षण की योजना
दिल्ली के पर्यावरण मंत्री ने कहा कि वर्तमान में नमी का स्तर 10 से 15% है, और अगले परीक्षण का कार्यक्रम 20 से 30% नमी पर आधारित होगा। आम आदमी पार्टी ने आरोप लगाया है कि जनता के पैसे से यह एक सर्कस किया जा रहा है, जबकि संसद की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि दिल्ली में कृत्रिम बारिश संभव नहीं है।
सौरभ भारद्वाज के आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए सिरसा ने कहा कि वे पिछले 10 वर्षों से प्रयास कर रहे थे, लेकिन अब बहाने बना रहे हैं। उन्होंने कहा कि जनता के पैसे की बर्बादी का आरोप तब सही था जब 20 करोड़ रुपये में ऑड-ईवन योजना लागू की गई थी।
कृत्रिम बारिश के परीक्षणों की संख्या
सिरसा ने बताया कि किसी को भी पैसे नहीं दिए जा रहे हैं, बल्कि अध्ययन के लिए सरकार IIT को फंडिंग कर रही है। प्रत्येक परीक्षण में 20 से 25 लाख रुपये का खर्च आता है। अगले परीक्षणों की संख्या IIT कानपुर पर निर्भर करेगी। सौरभ भारद्वाज द्वारा सिरसा की शिक्षा पर उठाए गए सवालों पर सिरसा ने कहा कि उनके पास केवल गालियां देने के अलावा कुछ नहीं है।
1 नवंबर से BS-4 से नीचे की गाड़ियों पर प्रतिबंध के फैसले पर भी सिरसा ने अपनी राय दी। उन्होंने कहा कि BS-4 वाहनों को 2026 तक चलाने की अनुमति है, जबकि अन्य सभी वाहनों पर प्रतिबंध लागू है।