कैश-ऑन-डिलीवरी चार्ज: ई-कॉमर्स में छिपे शुल्कों की जांच
कैश-ऑन-डिलीवरी की परिभाषा
कैश-ऑन-डिलीवरी
सरकार ने ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्मों पर कैश-ऑन-डिलीवरी (COD) ऑर्डर के लिए अतिरिक्त शुल्क लगाने की जांच शुरू की है। इसे 'डार्क पैटर्न' कहा गया है, जो ग्राहकों को गुमराह करता है और उनके अधिकारों का उल्लंघन करता है। आइए जानते हैं कि ये COD चार्ज और डार्क पैटर्न क्या हैं और ई-कॉमर्स कंपनियां इससे कैसे लाभ उठाती हैं।
COD चार्ज का विवरण
कैश-ऑन-डिलीवरी (COD) एक भुगतान विधि है, जिसमें ग्राहक अपने ऑर्डर का भुगतान डिलीवरी के समय नकद या डिजिटल तरीके से करता है। ई-कॉमर्स कंपनियां इसे ग्राहकों को ऑनलाइन खरीदारी में विश्वास दिलाने और सुविधा प्रदान करने के लिए पेश करती हैं। उदाहरण के लिए, यदि आप किसी ऑनलाइन स्टोर से 1500 रुपये का मोबाइल कवर ऑर्डर करते हैं, तो आपको डिलीवरी के समय यह राशि कैश में चुकानी होगी।
डार्क पैटर्न की पहचान
डार्क पैटर्न ऐसे डिजाइन तत्व हैं, जो वेबसाइटों या ऐप्स में उपयोग किए जाते हैं ताकि ग्राहकों को भ्रमित किया जा सके। ये छिपे हुए शुल्क, भ्रामक भाषा या अन्य तकनीकें हो सकती हैं, जो उपयोगकर्ताओं को अनचाही कार्रवाई करने के लिए मजबूर करती हैं। उदाहरण के लिए, अंतिम चरण में डिलीवरी चार्ज छिपाना या सहमति बॉक्स को पहले से चेक करना।
भारत में समस्या की गंभीरता
2024 की ASCI रिपोर्ट के अनुसार, भारत के शीर्ष 53 ऐप्स में से 52 में कम से कम एक डार्क पैटर्न पाया गया है। ये आमतौर पर ई-कॉमर्स, फिनटेक और गेमिंग ऐप्स में देखे जाते हैं, जहां ग्राहकों को बाद में पता चलता है कि उन्हें ठगा गया है।
सरकार की कार्रवाई
सरकार COD चार्जेज की जांच के साथ-साथ डिजिटल धोखाधड़ी पर भी नकेल कस रही है। मंत्रालय ने ई-कॉमर्स कंपनियों के साथ बैठक की और उन्हें अपने ऐप्स का ऑडिट करने का निर्देश दिया। एक संयुक्त कार्य समूह बनाने की योजना है, जो इन मुद्दों पर नजर रखेगा।
भविष्य की संभावनाएं
यदि कोई प्लेटफॉर्म डार्क पैटर्न का उपयोग करते हुए पाया गया, तो उस पर जुर्माना, डिजाइन में बदलाव या सख्त नियम लागू किए जा सकते हैं। COD भारत में एक लोकप्रिय भुगतान विधि है, विशेषकर छोटे शहरों में, इसलिए यह जांच अत्यंत महत्वपूर्ण है।