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अमेरिकी इथेन गैस से भारत बनेगा प्लास्टिक का वैश्विक केंद्र

मुकेश अंबानी की रिलायंस कंपनी अमेरिका से इथेन गैस का आयात कर भारत को प्लास्टिक का वैश्विक केंद्र बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठा रही है। यह कदम न केवल व्यापारिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि भारत की तेल अर्थव्यवस्था में भी बड़ा बदलाव ला सकता है। अंबानी का यह दांव अमेरिका के साथ व्यापारिक संबंधों को मजबूत करने में मदद कर सकता है। जानें कैसे यह कदम भारत के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है।
 

मुकेश अंबानी का नया व्यापारिक कदम

एशिया के सबसे धनी व्यक्ति मुकेश अंबानी एक बार फिर चर्चा में हैं। इस बार उनका ध्यान अमेरिका से इथेन गैस के बड़े आयात पर है, जो पहले चीन को भेजी जाती थी, लेकिन अब भारत आ रही है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की व्यापार युद्ध के कारण वैश्विक स्तर पर महत्वपूर्ण परिवर्तन हुए हैं, जिससे भारत को एक सुनहरा अवसर मिला है। अंबानी की कंपनी रिलायंस गुजरात के दहेज में इस गैस को उतारने की योजना बना रही है, जो प्लास्टिक बनाने में उपयोगी एथिलीन के उत्पादन में सहायक होगी। इससे भारत को प्लास्टिक का वैश्विक केंद्र बनने का मौका मिल सकता है.


अंबानी का इथेन पर दांव

मुकेश अंबानी ने लगभग एक दशक पहले अमेरिकी इथेन पर दांव लगाया था। उनकी कंपनी रिलायंस ने 2017 में गुजरात के दहेज में इथेन क्रैकर यूनिट की स्थापना की, जो अपने प्रकार की पहली बड़ी पहल थी। उस समय रिलायंस ने दावा किया था कि वह उत्तरी अमेरिका से इथेन आयात करने वाली पहली कंपनी है। आज यह दृष्टिकोण भारत के लिए व्यापारिक समझौतों में एक महत्वपूर्ण उपकरण बन सकता है। भारत और अमेरिका के बीच 43 अरब डॉलर के व्यापार घाटे को लेकर चल रही बातचीत में भारत यह कह सकता है, 'हम आपकी गैस खरीद रहे हैं, इसलिए टैरिफ की चर्चा छोड़ दें।' 9 जुलाई को अमेरिका की 26% टैरिफ की समय सीमा समाप्त होने वाली है, और भारत इस अवसर का पूरा लाभ उठाने के लिए तैयार है.


इथेन का महत्व

रिलायंस का यह कदम केवल व्यापारिक दृष्टिकोण से नहीं है। इथेन, जो प्राकृतिक गैस का एक घटक है, प्लास्टिक निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह एक रंगहीन और गंधहीन गैस है, जिसे विशेष जहाजों में तरल रूप में लाया जाता है। वर्तमान में, STL Qianjiang नामक एक जहाज अमेरिका के गल्फ कोस्ट से दहेज की ओर बढ़ रहा है। रिलायंस के पास ऐसे छह जहाज हैं और कंपनी अब तीन और जहाज जोड़ने की योजना बना रही है.


भारत की तेल अर्थव्यवस्था पर प्रभाव

इथेन के बढ़ते उपयोग से भारत की तेल आधारित अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण बदलाव आ सकता है। वर्तमान में, भारत की रिफाइनरियां मुख्य रूप से मध्य पूर्व से आने वाले कच्चे तेल पर निर्भर हैं। लेकिन यदि इथेन का उपयोग बढ़ता है, तो कुछ रिफाइनरियां घाटे में जा सकती हैं। नेफ्था, जो पहले पॉलिएस्टर, डिटर्जेंट, उर्वरक और कॉस्मेटिक्स बनाने में महत्वपूर्ण था, अब पीछे हट सकता है.


ट्रंप और अंबानी का संबंध

मुकेश अंबानी का यह कदम केवल भारत के लिए नहीं, बल्कि अमेरिका के लिए भी फायदेमंद हो सकता है। ट्रंप की व्यापार युद्ध के कारण अमेरिकी इथेन की मांग पर सवाल उठ रहे हैं। चीन इस गैस का प्रमुख खरीदार था, लेकिन अब भारत उसकी जगह ले सकता है। भले ही भारत चीन जितना इथेन न खरीद पाए, लेकिन वह अमेरिका के बाजार में ओवरसप्लाई को कम करने में मदद कर सकता है। ट्रंप के लिए यह एक अवसर होगा कि वे अपनी व्यापार नीति की प्रशंसा करें और कहें कि वे अमेरिका को फिर से महान बना रहे हैं.