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हिंदू धर्म में लोकों का रहस्य: स्वर्ग, पृथ्वी और पाताल

हिंदू धर्म में लोकों की अवधारणा एक गहन विषय है, जिसमें स्वर्ग, पृथ्वी और पाताल के विभिन्न पहलुओं का वर्णन किया गया है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, धरती के ऊपर और नीचे कई लोकों का अस्तित्व है। जानें इन लोकों के बारे में और कैसे ये विभिन्न जीवों के लिए अलग-अलग व्यवस्थाएं प्रदान करते हैं। इस लेख में हम तीन प्रमुख लोकों और 14 भुवनों के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे।
 

हिंदू धर्म में लोकों की अवधारणा

हिंदू धर्म के वेदों और पुराणों में विभिन्न लोकों का उल्लेख किया गया है। यह माना जाता है कि धरती के ऊपर और नीचे दोनों जगह लोक मौजूद हैं। धरती के नीचे कुल सात लोकों का वर्णन मिलता है। धार्मिक ग्रंथों में त्रिलोक का उल्लेख बार-बार किया गया है.


भुवनों का विभाजन

इन तीन लोकों को 14 भुवनों में बांटा गया है, जिनमें से कुछ धरती के नीचे और कुछ धरती के ऊपर स्थित हैं। धरती को सातवें लोक के रूप में जाना जाता है.


स्वर्गलोक, भूलोक और पाताल लोक

हिंदू शास्त्रों के अनुसार, पृथ्वी लोक के ऊपर स्वर्गलोक और नीचे पाताल लोक का उल्लेख मिलता है। पाताल लोक को अंतिम लोक माना जाता है.


इन लोकों में देवता, दानव, ऋषि-मुनि और मनुष्यों के लिए अलग-अलग व्यवस्थाएं हैं। विष्णु पुराण में तीन लोकों और 14 भुवनों का वर्णन किया गया है, जिसमें 7 ऊर्ध्वलोक और 7 अधोलोक शामिल हैं.


स्वर्गलोक (उच्चलोक)

इस लोक में देवताओं का निवास है, जैसे राजा इंद्र, सूर्य देव, पवन देव, चंद्र देव, अग्नि देव, वरुण देव, और अन्य सभी हिंदू देवी-देवता.


भूलोक (मध्यलोक)

भूलोक, जिसे पृथ्वी भी कहा जाता है, यहां मनुष्यों का निवास है.


पाताल लोक (अधोलोक)

इस लोक में दैत्य, दानव, यक्ष और नागों का निवास है। यहां राजा बलि रहते हैं, जिन्हें भगवान विष्णु ने अमरता का वरदान दिया था. विष्णु पुराण में पाताल लोकों का विस्तृत वर्णन मिलता है.


14 भुवनों का विवरण

सत्यलोक, तपलोक, जनलोक, महलोक, ध्रुवलोक, सिद्धलोक, पृथ्वीलोक, अतललोक, वितललोक, सुतललोक, तलातललोक, महातललोक, रसातललोक, और पाताललोक का वर्णन किया गया है. इन लोकों में विभिन्न प्रकार के जीवों और शक्तियों का निवास है.


धार्मिक मान्यताएं

विष्णु पुराण के अनुसार, भूलोक, भुवर्लोक और स्वर्लोक को कृतक लोक माना गया है, जबकि जनलोक, तपलोक और सत्यलोक को अकृतक लोक के रूप में जाना जाता है.