हनुमान जी की पूजा के लिए सही दिशा और नियम
हनुमान जी का महत्व
हनुमान जी, जो हिंदू धर्म में अत्यधिक पूजनीय और शक्तिशाली माने जाते हैं, भक्ति, शक्ति और समर्पण के प्रतीक हैं। रामायण में उन्हें भगवान श्रीराम के परम भक्त के रूप में दर्शाया गया है।
उनकी पूजा न केवल आध्यात्मिक शांति प्रदान करती है, बल्कि यह भय और नकारात्मक ऊर्जा से मुक्ति भी दिलाती है।
मूर्ति रखने के नियम
हिंदू शास्त्रों के अनुसार, घर में हनुमान जी की मूर्ति या चित्र रखना शुभ होता है। उनकी उपस्थिति से घर में सकारात्मक ऊर्जा और समृद्धि आती है। हालांकि, मूर्ति रखने से पहले कुछ नियमों का पालन करना आवश्यक है।
अग्नि पुराण और वास्तु शास्त्र में देवी-देवताओं की मूर्तियों को रखने के लिए कुछ दिशा-निर्देश दिए गए हैं। हनुमान जी की मूर्ति रखने से पहले यह सुनिश्चित करें कि घर का वातावरण पवित्र हो।
कौन सी मूर्तियाँ न रखें
हनुमान जी की युद्ध करते या क्रोधित अवस्था वाली मूर्तियाँ घर में नहीं रखनी चाहिए, क्योंकि इससे नकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न हो सकती है।
इसके अलावा, प्लास्टिक या कृत्रिम सामग्री से बनी मूर्तियों से भी बचना चाहिए। यदि आप हनुमान जी की मूर्ति रखते हैं, तो मांस और मदिरा का सेवन वर्जित कर दें।
शांत मूर्तियाँ रखें
पूजा घर में हनुमान जी की शांत मुद्रा वाली मूर्ति रखना शुभ होता है। भगवान राम के चरणों में बैठे हनुमान जी या ध्यानमग्न मुद्रा में उनकी मूर्तियाँ उपयुक्त होती हैं।
मूर्ति पीतल, तांबा, चांदी या संगमरमर की हो सकती है। मिट्टी या लकड़ी की मूर्तियाँ भी शुभ मानी जाती हैं।
वास्तु के अनुसार मूर्ति रखने की दिशा
वास्तु शास्त्र के अनुसार, हनुमान जी की मूर्ति को पूजा स्थल में या उत्तर-पूर्व दिशा में रखना शुभ होता है। मूर्ति को हमेशा ऊँचाई पर रखें, जैसे लकड़ी या संगमरमर के आसन पर।
हनुमान जी की मूर्ति को शुद्ध वातावरण में रखना आवश्यक है। नियमित रूप से पूजा करना और हनुमान चालीसा का पाठ करना भी महत्वपूर्ण है।