×

सोम प्रदोष व्रत 2025: शिव पूजा का महत्व और शुभ मुहूर्त

सोम प्रदोष व्रत 2025 का आयोजन आज किया जा रहा है, जो भगवान शिव को समर्पित है। इस दिन विशेष पूजा विधियों का पालन किया जाता है, जिसमें जलाभिषेक और रुद्राभिषेक शामिल हैं। जानें इस व्रत का महत्व, शुभ मुहूर्त और विशेष स्तोत्रों का पाठ। यह व्रत सभी इच्छाओं की पूर्ति के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है।
 

सोम प्रदोष व्रत का महत्व

आज सोम प्रदोष व्रत मनाया जा रहा है, जो हर महीने की शुक्ल और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को होता है। यह कार्तिक माह का अंतिम प्रदोष व्रत है और इस दिन भगवान शिव को समर्पित किया जाता है। इस विशेष अवसर पर, भक्त महादेव और माता पार्वती की पूजा करेंगे। प्रदोष व्रत का पालन करने से सभी इच्छाएं पूरी होती हैं।


शिव की पूजा का महत्व

सनातन शास्त्रों में कहा गया है कि भगवान शिव का जलाभिषेक और रुद्राभिषेक करने से वे शीघ्र प्रसन्न होते हैं। पूजा के दौरान जलाभिषेक से शारीरिक और मानसिक समस्याओं का समाधान होता है। सोम प्रदोष व्रत के दिन, शिव का अभिषेक करते समय दारिद्र्य दहन शिव स्तोत्र और श्री लिङ्गाष्टकम् का पाठ करना चाहिए, जिससे आर्थिक तंगी और कर्ज से मुक्ति मिल सके।


श्री लिङ्गाष्टकम्

ब्रह्ममुरारिसुरार्चितलिङ्गंनिर्मलभासितशोभितलिङ्गम्।


जन्मजदुःखविनाशकलिङ्गंतत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम्॥


देवमुनिप्रवरार्चितलिङ्गं कामदहम्करुणाकर लिङ्गम्।


रावणदर्पविनाशनलिङ्गंतत् प्रणमामि सदाशिव लिङ्गम्॥


सर्वसुगन्धिसुलेपितलिङ्गंबुद्धिविवर्धनकारणलिङ्गम्।


सिद्धसुरासुरवन्दितलिङ्गंतत् प्रणमामि सदाशिव लिङ्गम्॥


कनकमहामणिभूषितलिङ्गंफणिपतिवेष्टित शोभित लिङ्गम्।


दक्षसुयज्ञविनाशन लिङ्गंतत् प्रणमामि सदाशिव लिङ्गम्॥


कुङ्कुमचन्दनलेपितलिङ्गंपङ्कजहारसुशोभितलिङ्गम्।


सञ्चितपापविनाशनलिङ्गंतत् प्रणमामि सदाशिव लिङ्गम्॥


देवगणार्चित सेवितलिङ्गंभावैर्भक्तिभिरेव च लिङ्गम्।


दिनकरकोटिप्रभाकरलिङ्गंतत् प्रणमामि सदाशिव लिङ्गम्॥


अष्टदलोपरिवेष्टितलिङ्गंसर्वसमुद्भवकारणलिङ्गम्।


अष्टदरिद्रविनाशनलिङ्गंतत् प्रणमामि सदाशिव लिङ्गम्॥


सुरगुरुसुरवरपूजित लिङ्गंसुरवनपुष्प सदार्चित लिङ्गम्।


परात्परं परमात्मक लिङ्गंतत् प्रणमामि सदाशिव लिङ्गम्॥


लिङ्गाष्टकमिदं पुण्यं यःपठेत् शिवसन्निधौ।


शिवलोकमवाप्नोतिशिवेन सह मोदते॥


दारिद्र्य दहन शिव स्तोत्र

विश्वेश्वराय नरकार्णवतारणाय कर्णामृताय शशिशेखरधारणाय ।


कर्पूरकान्तिधवलाय जटाधराय दारिद्र्यदुःखदहनाय नमः शिवाय ॥


गौरीप्रियाय रजनीशकलाधराय कालान्तकाय भुजगाधिपकङ्कणाय ।


गङ्गाधराय गजराजविमर्दनाय दारिद्र्यदुःखदहनाय नमः शिवाय ॥


भक्तप्रियाय भवरोगभयापहाय उग्राय दुर्गभवसागरतारणाय ।


ज्योतिर्मयाय गुणनामसुकृत्यकाय दारिद्र्यदुःखदहनाय नमः शिवाय ॥


चर्मांबराय शवभस्मविलेपनाय भालेक्षणाय मणिकुण्डलमण्डिताय ।


मंजीरपादयुगलाय जटाधराय दारिद्र्यदुःखदहनाय नमः शिवाय ॥


पञ्चाननाय फणिराजविभूषणाय हेमांशुकाय भुवनत्रय मण्डिताय ।


आनन्दभूमिवरदाय तमोमयाय दारिद्र्यदुःखदहनाय नमः शिवाय ॥


गौरीविलासभवनाय महेश्वराय पञ्चाननाय शरणागतकल्पकाय ।


शर्वाय सर्वजगतामधिपाय तस्मै दारिद्र्यदुःखदहनाय नमः शिवाय ॥


भानुप्रियाय भवसागरतारणाय कालान्तकाय कमलासनपूजिताय ।


नेत्रत्रयाय शुभलक्षणलक्षिताय दारिद्र्यदुःखदहनाय नमः शिवाय ॥


रामप्रियाय राघुनाथवरप्रदाय नागप्रियाय नरकार्णवतारणाय ।


पुण्येषु पुण्यभरिताय सुरार्चिताय दारिद्र्यदुःखदहनाय नमः शिवाय ॥


मुक्तेश्वराय फलदाय गणेश्वराय गीतप्रियाय वृषभेश्वरवाहनाय ।


मातङ्गचर्मवसनाय महेश्वराय दारिद्र्यदुःखदहनाय नमः शिवाय ॥


वसिष्ठेनकृतं स्तोत्रं सर्व दारिद्र्यनाशनम् ।


सर्वसंपत्करं शीघ्रं पुत्रपौत्रादिवर्धनम् ॥


सोम प्रदोष की पूजा का शुभ मुहूर्त

पंचांग के अनुसार, त्रयोदशी तिथि पर भगवान शिव की पूजा अत्यंत फलदायी मानी जाती है। आज सोम प्रदोष व्रत पर प्रदोष काल में पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 05:34 बजे से शुरू होगा और यह 08:11 बजे तक रहेगा। इस समय में पूजा करने से उसका पूरा फल प्राप्त होगा।