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सोम प्रदोष व्रत 2025: विशेष योग और पूजा विधि

सोम प्रदोष व्रत 2025 का महत्व और पूजा विधि जानें। इस दिन विशेष योग का निर्माण होगा, जिससे शिवभक्तों को दोगुना पुण्य प्राप्त होगा। जानें कब है सोम प्रदोष व्रत और इसे कैसे मनाना है।
 

सोम प्रदोष व्रत का महत्व

सोम प्रदोष पर होगा दुर्लभ योग का निर्माण

सोम प्रदोष व्रत: सनातन धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है, जो भगवान शिव को समर्पित है। यह व्रत हर महीने दो बार, त्रयोदशी तिथि पर, एक बार कृष्ण पक्ष और एक बार शुक्ल पक्ष में मनाया जाता है। शास्त्रों के अनुसार, प्रदोष व्रत करने से जीवन के सभी दुख समाप्त होते हैं और भगवान शिव तथा माता पार्वती की कृपा प्राप्त होती है।

प्रदोष व्रत का नाम उस दिन के वार के अनुसार रखा जाता है। नवंबर में पहला प्रदोष व्रत शुक्ल पक्ष में सोमवार को होगा, जिसे सोम प्रदोष व्रत कहा जाता है। इस दिन एक विशेष योग का निर्माण होगा, जिससे शिवभक्तों को दोगुना पुण्य प्राप्त होगा।


सोम प्रदोष व्रत की तिथि

कब है सोम प्रदोष व्रत (Som Pradosh Vrat 2025 कब है)

वैदिक पंचांग के अनुसार, कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 3 नवंबर 2025 को सुबह 5:07 बजे शुरू होगी और 4 नवंबर 2025 को मध्यरात्रि 2:05 बजे समाप्त होगी। इस प्रकार, सोम प्रदोष का व्रत 3 नवंबर को मनाया जाएगा।


सोम प्रदोष व्रत पर विशेष संयोग

सोम प्रदोष व्रत पर दुर्लभ संयोग

नवंबर का पहला प्रदोष व्रत सोमवार को है, जो भगवान शिव को समर्पित है। इस दिन सोम प्रदोष का व्रत करने से भक्तों को दोगुना पुण्य प्राप्त होगा। इसके साथ ही, इस दिन रवि योग का निर्माण भी हो रहा है, जो पूजा-पाठ के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है।


सोम प्रदोष व्रत की पूजा विधि

सोम प्रदोष व्रत की पूजा विधि (Som Pradosh Vrat Puja Vidhi)

  • प्रदोष व्रत के दिन प्रातः स्नान कर सूर्य देव को अर्घ्य देना चाहिए।
  • इसके बाद व्रत का संकल्प लें।
  • पूजा स्थल को साफ करें।
  • भगवान शिव का पंचामृत से अभिषेक करें।
  • शिवलिंग पर बेलपत्र, धतूरा, पुष्प, जल और दूध चढ़ाएं।
  • परिवार सहित शिव परिवार की उपासना करें।
  • प्रदोष व्रत कथा का पाठ करें।
  • अंत में शिव चालीसा और आरती करें।
  • व्रत का पारण पूजा के समापन के बाद करें।