सूर्यास्त के समय भोजन क्यों वर्जित है? प्रेमानंद महाराज का मार्गदर्शन
प्रेमानंद महाराज का संदेश
प्रेमानंद महाराज
सूर्यास्त का आध्यात्मिक महत्व: सनातन धर्म में समय की पवित्रता और उसके उचित उपयोग को अत्यधिक महत्व दिया गया है। हाल ही में, प्रसिद्ध संत प्रेमानंद महाराज ने सूर्यास्त के समय के बारे में एक महत्वपूर्ण जानकारी साझा की है। उनके अनुसार, इस समय के दौरान भोजन और सहवास जैसे कार्य वर्जित माने जाते हैं। उन्होंने बताया कि सूर्यास्त से जुड़ा 48 मिनट का विशेष समय आध्यात्मिक उन्नति के लिए अत्यंत शुभ और पवित्र होता है, जिसका उपयोग हमें भगवत भजन में करना चाहिए।
सूर्यास्त के 48 मिनट का महत्व
प्रेमानंद महाराज के अनुसार, सूर्यास्त से 24 मिनट पहले और 24 मिनट बाद का समय, कुल मिलाकर 48 मिनट, बेहद पवित्र माना जाता है। इस अवधि को धार्मिक ग्रंथों में आध्यात्मिक कार्यों के लिए सर्वोत्तम माना गया है।
प्रेमानंद महाराज का विचार: “सूर्यास्त के 24 मिनट पहले और 24 मिनट बाद का समय बेहद पवित्र है। इस दौरान भोजन और सहवास जैसे कार्य निषेध माने गए हैं।”
भोजन और अन्य कार्यों का वर्जित होना
प्रेमानंद महाराज बताते हैं कि यह 48 मिनट का समय भौतिक कार्यों से हटकर आध्यात्मिक कार्यों के लिए आरक्षित होना चाहिए।
भोजन: इस समय के दौरान भोजन करने से बचना चाहिए। उन्होंने सलाह दी है कि भोजन या तो इस पवित्र समय से पहले कर लेना चाहिए या फिर बाद में। इन 48 मिनट के दौरान भोजन करने की सख्त मनाही है।
सहवास: भोजन की तरह ही, सहवास (भोग विलास) जैसे कार्य भी इस अवधि में निषेध माने गए हैं। यह समय हमें शरीर की आवश्यकताओं से ऊपर उठकर आत्मा की शांति और भगवान से जुड़ने के लिए दिया गया है।
इस पवित्र समय का सदुपयोग कैसे करें?
प्रेमानंद महाराज ने इस 48 मिनट के ‘पवित्र काल’ का सदुपयोग करने के लिए कुछ सुझाव दिए हैं। उन्होंने कहा है कि इस दौरान हमें शांत मन से आध्यात्मिक कार्य करने चाहिए।
सूर्य देव को अर्घ्य देना: यदि संभव हो तो भगवान सूर्य देव को जल अर्पित करना चाहिए।
गायत्री जप: इस समय गायत्री मंत्र का जप करना बहुत फलदायी होता है।
गुरु मंत्र जप: अपने गुरु द्वारा दिए गए मंत्र का जप करना।
नाम जप: भगवान के नाम का जप करना, जो कलयुग में मोक्ष का सबसे सरल साधन माना गया है।
यदि इस दौरान कोई कार्य कर रहे हैं तो क्या करें?
हालांकि, प्रेमानंद महाराज ने कहा है कि यदि इस समय पर कोई आवश्यक कार्य कर रहे हैं, जैसे यात्रा या कार्यस्थल पर काम, तो वह जारी रखा जा सकता है। साथ ही, उन्होंने यह भी कहा कि हर व्यक्ति को थोड़ा समय निकालकर इस दौरान नाम जप जरूर करना चाहिए। चूंकि यह समय आध्यात्मिक कार्यों के लिए बहुत शुभ माना जाता है, इसलिए अपने व्यस्त जीवन में भी कुछ पल भगवान को समर्पित करना उचित है।