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सावन में भोलेनाथ के लिए पंचामृत का महत्व और बनाने की विधि

सावन का पवित्र महीना शुरू हो चुका है, जिसमें भक्त भोलेनाथ की पूजा करते हैं। इस दौरान पंचामृत का विशेष महत्व है, जिसे शिवलिंग पर अर्पित किया जाता है। जानें पंचामृत बनाने की विधि और इसे कैसे प्रसाद के रूप में वितरित किया जाता है। ठंडा पंचामृत पीने से शरीर को ठंडक और मन को शांति मिलती है।
 

सावन का पवित्र महीना

11 जुलाई से भोलेनाथ को समर्पित सावन का पवित्र महीना आरंभ हो चुका है। आज 14 जुलाई को सावन का पहला सोमवार है, और सुबह से ही शिवालयों में भक्तों की भीड़ देखने को मिल रही है।


भोलेनाथ की कृपा

भोलेनाथ, जिन्हें देवों के देव महादेव कहा जाता है, भक्तों की इच्छाओं को जल्दी पूरा करने के लिए जाने जाते हैं।


पंचामृत का महत्व

शिवजी को अर्पित भोग में पंचामृत का विशेष स्थान है। इसे सबसे पवित्र और शुद्ध प्रसाद माना जाता है। पंचामृत में पांच चीजों का मिश्रण होता है — दूध, दही, घी, शहद और शक्कर। सावन के इस महीने में विशेष रूप से शिवलिंग का अभिषेक पंचामृत से किया जाता है।


पंचामृत बनाने की विधि

पंचामृत तैयार करने के लिए सबसे पहले आधा लीटर गाय का कच्चा दूध लें, इसे उबालना नहीं है।


अब इसमें एक बड़ा चम्मच कटे हुए बादाम, एक बड़ा चम्मच कटे हुए काजू, एक बड़ा चम्मच कसा हुआ सूखा नारियल और एक बड़ा चम्मच धुली हुई किशमिश मिलाएं। इन सभी सामग्रियों को एक बड़े बर्तन में अच्छे से मिलाएं।


प्रसाद वितरण की विधि

पंचामृत तैयार होने के बाद इसे शिवलिंग पर चढ़ाएं और अभिषेक करें।


बचे हुए पंचामृत को भक्तों में प्रसाद के रूप में बांटा जाता है।


आप चाहें तो इसे 2 घंटे के लिए फ्रिज में ठंडा कर सकते हैं।


ठंडा पंचामृत पीने से शरीर को ठंडक मिलती है और मन को शांति का अनुभव होता है।