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सांगानेर में हिंदू और जैन संतों का ऐतिहासिक मिलन

सांगानेर के गायत्री भवन में हिंदू और जैन संतों का एक ऐतिहासिक मिलन हुआ, जिसमें महंत कमलेशजी महाराज और जैन मुनि श्रमणाचार्य सुंदर सागर जी महाराज ने एकता और सद्भाव का संदेश दिया। इस कार्यक्रम में सैकड़ों अनुयायी शामिल हुए और संतों ने समाज में प्रेम और अहिंसा को बढ़ावा देने की अपील की। जानें इस प्रेरणादायक मिलन के बारे में और कैसे संतों ने युवा पीढ़ी को सही दिशा दिखाने की आवश्यकता पर जोर दिया।
 

संतों का मिलन और एकता का संदेश

रविवार को सांगानेर के गायत्री भवन में आध्यात्मिकता, सद्भाव और धार्मिक एकता का अद्भुत नजारा देखने को मिला। इस अवसर पर पशुपतिनाथ मंदिर के महंत कमलेशजी महाराज और जैन मुनि श्रमणाचार्य सुंदर सागर जी महाराज ने एक-दूसरे से मिलकर सभी धर्मों के अनुयायियों को एकजुट होने का संदेश दिया। इस कार्यक्रम में जैन और सनातन धर्म के सैकड़ों अनुयायी शामिल हुए।


महंत कमलेशजी महाराज ने सभा में कहा कि संत समुदाय की जिम्मेदारी है कि वे सनातन की विरासत को नई पीढ़ी तक पहुंचाएं। उन्होंने यह भी कहा कि सभी संतों को एक मंच पर आकर युवा पीढ़ी को सनातन के मूल्यों से अवगत कराना चाहिए। उन्होंने बताया कि संतों का दायित्व है कि वे समाज को एकजुट रखें, क्योंकि सनातन की भूमिका देश को एकजुट करने में महत्वपूर्ण है।


कमलेश महाराज ने यह भी कहा कि धर्म विरोधी प्रभावों के बीच संतों की एकता ही आगामी पीढ़ी को सही दिशा दे सकती है। उन्होंने युवाओं को सनातन की परंपराओं और आध्यात्मिक समाधान से जोड़ने की आवश्यकता पर जोर दिया।


जैन मुनि श्रमणाचार्य सुंदर सागर जी महाराज ने इस मिलन को अद्भुत क्षण बताया और कहा कि आज पूरा विश्व भारत को समाधान के रूप में देख रहा है। उन्होंने सभी धर्मों के संतों से एक साथ आने की अपील की और चेतावनी दी कि यदि हम आज नहीं जागे, तो हमारी परंपराओं की परीक्षा होगी।


उन्होंने कमलेश महाराज की सेवा की सराहना करते हुए कहा कि ऐसे संत समाज के लिए प्रेरणा स्रोत हैं। कार्यक्रम के अंत में दोनों संतों ने प्रेम, अहिंसा और सद्भाव को प्राथमिकता देते हुए समाज से आपसी भेदभाव को समाप्त करने की अपील की। भक्तों ने इस अद्भुत संगम को प्रेरणादायक क्षण बताया।