शिवलिंग की पूजा: तीन महत्वपूर्ण स्थानों पर स्पर्श से कम करें मांगलिक दोष
शिवलिंग की पूजा का महत्व
शिवलिंग की पूजाImage Credit source: Freepik
शिवलिंग की पूजा: महादेव की उपासना जीवन के सभी संकटों को समाप्त करने में सहायक होती है। शिव की पूजा से जन्म कुंडली में मौजूद दोषों का निवारण संभव है। शिव पुराण के अनुसार, शिवलिंग में भगवान शिव के साथ उनका पूरा परिवार उपस्थित होता है, जिसमें माता पार्वती, भगवान गणेश, भगवान कार्तिकेय और पुत्री अशोक सुंदरी शामिल हैं।
इसलिए, शिवलिंग के विभिन्न स्थानों को स्पर्श करना महत्वपूर्ण माना जाता है। मान्यता है कि इन स्थानों पर स्पर्श करने से जीवन की समस्याओं से मुक्ति मिलती है। विशेष रूप से, यदि पूजा के दौरान तीन स्थानों पर स्पर्श किया जाए, तो मांगलिक दोष का प्रभाव कम हो सकता है। आइए जानते हैं ये तीन स्थान कौन से हैं।
शिवलिंग को स्पर्श करने का पहला स्थान
पहला स्थान:
शिवलिंग को स्पर्श करने का पहला स्थान जलाधारी के आगे का भाग है, जो पैरों के आकार का होता है। यहाँ भगवान गणेश और कार्तिकेय विराजमान होते हैं। पूजा के बाद इस स्थान पर आदरपूर्वक स्पर्श करें और फिर हाथों को पेट पर रखें। ऐसा करने से संतान सुरक्षा का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
शिवलिंग को स्पर्श करने का दूसरा स्थान
दूसरा स्थान:
शिव पुराण के अनुसार, जल प्रवाहित होने वाले स्थान को शिवलिंग का दूसरा स्पर्श स्थान माना जाता है। यहाँ भगवान शिव की पुत्री विराजमान होती हैं। इस स्थान पर बेलपत्र से स्पर्श करना चाहिए, जिससे विवाह में आ रही समस्याएं और मांगलिक दोष का प्रभाव कम होता है।
शिवलिंग पर स्पर्श करने का तीसरा स्थान
तीसरा स्थान:
शिवलिंग को स्पर्श करने का तीसरा स्थान जलाधारी के पीछे का गोल भाग है, जिसे मां पार्वती का हस्त कमल कहा जाता है। इस स्थान पर स्पर्श करने से स्वास्थ्य का आशीर्वाद मिलता है और गंभीर बीमारियों से मुक्ति मिलती है।