लक्ष्मण की तपस्या: मेघनाद का वध कैसे हुआ संभव?
लक्ष्मण और मेघनाद का युद्ध
भगवान श्रीराम और उनके प्रिय भाई लक्ष्मण के बीच गहरा प्रेम था, जो सभी को ज्ञात है। दोनों भाई एक-दूसरे के लिए अपने प्राणों की भी परवाह नहीं करते थे। लेकिन एक समय ऐसा आया जब भगवान राम के मन में लक्ष्मण को लेकर संदेह उत्पन्न हुआ। यह तब हुआ जब ऋषि अगस्त्य ने कहा कि रावण के शक्तिशाली पुत्र मेघनाद का वध केवल लक्ष्मण ही कर सकते हैं। आइए जानते हैं कि ऋषि ने ऐसा क्यों कहा।
एक बार जब अगस्त्य मुनि अयोध्या आए, तब भगवान राम ने उन्हें लंका युद्ध के बारे में बताया। उन्होंने बताया कि कैसे उन्होंने रावण और कुंभकर्ण जैसे योद्धाओं का वध किया, जबकि लक्ष्मण ने इंद्रजीत और अतिकाय जैसे दुष्टों को पराजित किया। अगस्त्य मुनि ने कहा कि इंद्रजीत सबसे बड़ा योद्धा था, जिसने इंद्र से युद्ध किया और उसे बंदी बना लिया। ऐसे वीर का वध केवल लक्ष्मण ही कर सकते थे।
भगवान राम ने अगस्त्य से पूछा कि ऐसा क्या है जो मेघनाद को केवल लक्ष्मण ही मार सकते हैं। अगस्त्य ने उत्तर दिया कि जो व्यक्ति 14 वर्षों तक न सोया हो, न किसी स्त्री का मुख देखा हो, और न कुछ खाया हो, वही मेघनाद का वध कर सकता है।
भगवान राम ने कहा कि वह और लक्ष्मण सीता के साथ एक कुटिया में रहते थे, तो लक्ष्मण ने सीता का मुख कैसे नहीं देखा? अगस्त्य ने समझा कि राम जानबूझकर यह सवाल कर रहे हैं ताकि लक्ष्मण की तपस्या का महत्व सबको पता चले।
विभीषण ने भी इस बात की पुष्टि की थी कि मेघनाद का वध देवताओं के लिए भी कठिन था।
अगस्त्य ने सुझाव दिया कि लक्ष्मण से इस बारे में पूछा जाए। जब लक्ष्मण आए, तो राम ने उनसे पूछा कि क्या उन्होंने सीता का मुख नहीं देखा और 14 वर्षों तक कैसे जागते रहे। लक्ष्मण ने बताया कि जब वे सीता को खोजने गए थे, तब उन्होंने केवल उनके पैरों के आभूषण देखे थे।
लक्ष्मण ने बताया कि उन्होंने 14 वर्षों तक सोया नहीं क्योंकि वह रातभर पहरेदारी करते थे। एक बार निद्रा देवी ने उन्हें छूने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने उसे अपने बाण से रोक दिया। निद्रा देवी ने कहा कि वह 14 वर्षों तक उन्हें नहीं छुएगी।
लक्ष्मण ने यह भी बताया कि उन्होंने 14 वर्षों तक कुछ नहीं खाया। जब वह फल लाते थे, तो राम उन्हें खाने के लिए नहीं कहते थे। उन्होंने फल को संभाल कर रखा। जब राम ने फल की टोकरी मंगवाई, तो उसमें से 7 दिन के फल गायब थे।
लक्ष्मण ने बताया कि उन 7 दिनों में वे निराहारी रहे थे। उन्होंने गुरु विश्वामित्र से ज्ञान प्राप्त किया था, जिससे वह बिना अन्न के भी जीवित रह सकते थे। यह सुनकर भगवान राम भावुक हो गए और लक्ष्मण को गले लगा लिया।