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राधा अष्टमी व्रत के नियम और महत्व

राधा अष्टमी का पर्व भगवान कृष्ण की प्रिय भक्त श्री राधा रानी के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। इस दिन भक्तजन उपवास रखते हैं और विशेष पूजा करते हैं। जानें इस दिन के व्रत के नियम, क्या करें और क्या न करें, ताकि आपकी पूजा सफल हो सके। राधा अष्टमी की तिथि और शुभ मुहूर्त भी जानें।
 

राधा अष्टमी का महत्व


राधा अष्टमी व्रत के नियम: राधा अष्टमी का पर्व हिंदू धर्म में एक पवित्र और सम्मानित दिन माना जाता है। यह दिन भगवान कृष्ण की प्रिय भक्त और प्रेम की प्रतीक, श्री राधा रानी के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। इस दिन विशेष उत्सव और झांकियाँ आयोजित की जाती हैं, विशेषकर तीर्थ स्थलों जैसे ब्रजभूमि, मथुरा और वृंदावन में। भक्तजन उपवास रखते हैं, कीर्तन-भजन करते हैं और राधा रानी की विधिपूर्वक पूजा करते हैं, जिससे उन्हें आशीर्वाद प्राप्त होता है। मान्यता है कि इस दिन उपवास रखने से जीवन में प्रेम, सामंजस्य, खुशी और शांति का वास होता है।


राधा अष्टमी पर क्या करें

राधा अष्टमी के दिन सुबह जल्दी उठकर शुद्ध जल से स्नान करें। स्नान के बाद स्वच्छ और साफ कपड़े पहनें ताकि मन और शरीर दोनों शुद्ध रहें। इसके बाद उपवास और पूजा का संकल्प लें।

पूरे दिन ब्रह्मचर्य का पालन करना अनिवार्य है। इसका अर्थ है कि आपको शारीरिक और मानसिक दोनों रूप से संयमित और शुद्ध रहना चाहिए।

इस दिन राधा रानी को भोग के रूप में केवल ताजे और पवित्र वस्तुएँ जैसे ताजे फल, दूध, दूध से बने प्रसाद, फूल आदि अर्पित करें। पुराने या अधपके पदार्थों का भोग न दें।

पूजा के बाद राधा अष्टमी व्रत की कथा का पाठ करें या सुनें। इससे व्रत की महिमा बढ़ती है और मन को आध्यात्मिक शांति मिलती है।

उपवास तोड़ने का समय विशेष होता है। उपवास को शुभ समय पर तोड़ना चाहिए ताकि पूजा का फल पूरी तरह से प्राप्त हो सके। समय का सम्मान करें और जल्दी न करें।

उपवास तोड़ते समय वही प्रसाद लें जो राधा रानी को पूजा में अर्पित किया गया था। इससे पूजा की पूर्णता सुनिश्चित होती है।

उपवास तोड़ने से पहले जरूरतमंदों को भोजन, कपड़े या पैसे दान करें। इसके अलावा, गाय की सेवा भी बहुत शुभ मानी जाती है। इससे पुण्य बढ़ता है और उपवास की सफलता सुनिश्चित होती है।

उपवास तोड़ने के बाद घर के बड़े-बुजुर्गों का आशीर्वाद लेना आवश्यक है। उनका आशीर्वाद आपके जीवन में खुशी, शांति और समृद्धि लाता है।


राधा अष्टमी व्रत के दिन क्या न करें

जो भोग राधा रानी को पूजा में अर्पित किया जाना है, वह पूरी तरह से शुद्ध और बिना किसी स्पर्श के होना चाहिए। भोग बनाने के बाद उसे चखना या किसी भी तरह से अपवित्र करना मना है।

उपवास के दिन दिन में सोना धार्मिक दृष्टिकोण से अनुचित माना जाता है। इससे व्रत की तपस्या में बाधा आती है और इसके फल कम हो सकते हैं।

इस शुभ दिन पर शरीर के अंगों जैसे बाल, नाखून या दाढ़ी काटना मना है। इसे अपवित्रता का प्रतीक माना जाता है, इसलिए इसे टाला जाना चाहिए।

इस दिन काले या बहुत गहरे रंग के कपड़े पहनने से बचें। राधा रानी को लाल और पीले रंग पसंद हैं, इसलिए इन रंगों के कपड़े पहनना शुभ माना जाता है।

महिलाओं को पूजा करते समय अपने बाल बांधकर रखना चाहिए और सिर पर चूनरी ढकनी चाहिए। यह भक्ति और शुद्धता का प्रतीक है। पुरुषों को भी अपने सिर पर रुमाल या कपड़ा रखना चाहिए।

राधा अष्टमी के दिन बाल धोना मना है। यदि बाल धोने की आवश्यकता हो, तो यह कार्य अष्टमी शुरू होने से पहले करना चाहिए।


राधा अष्टमी तिथि

राधा अष्टमी तिथि:

भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि प्रारंभ: 30 अगस्त, रात 10:46 बजे।

भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि समाप्त: 1 सितंबर, रात 12:57 बजे।

उदयातिथि के अनुसार, राधा अष्टमी 31 अगस्त को मनाई जाएगी।

राधा अष्टमी शुभ मुहूर्त:
राधा अष्टमी पूजा के लिए सबसे अच्छा मुहूर्त: 31 अगस्त, सुबह 11:05 बजे से 1:38 बजे तक।