मुख्य द्वार के लिए वास्तु टिप्स: समृद्धि के लिए सही दिशा और आकार
मुख्य द्वार का महत्व
वास्तु शास्त्र में घर के हर हिस्से के लिए दिशा-निर्देश दिए गए हैं, जिसमें मुख्य द्वार का भी विशेष महत्व है। यदि घर का दरवाजा सही तरीके से नहीं बनाया गया है, तो परिवार को आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। इसलिए, दरवाजे से संबंधित कुछ सामान्य गलतियों से बचना आवश्यक है।
मुख्य द्वार की दिशा और स्थिति
मुख्य द्वार को हमेशा अंदर की ओर खुलने वाला होना चाहिए। दरवाजे को खोलते या बंद करते समय कोई आवाज नहीं आनी चाहिए।
घर के दरवाजे और खिड़कियों की स्थिति भी महत्वपूर्ण है। इन्हें हमेशा अच्छी स्थिति में रखना चाहिए, न तो टूटे हुए और न ही उखड़े हुए। अच्छे दरवाजे घर में समृद्धि लाते हैं।
दरवाजों की संख्या और आकार
वास्तु के अनुसार, घर में एक सीध में तीन या उससे अधिक दरवाजे नहीं होने चाहिए। इससे धन का प्रवाह रुकता है और तरक्की में बाधा आती है।
मुख्य द्वार का आकार भी महत्वपूर्ण है। यह त्रिकोण, गोल, या बहुभुज नहीं होना चाहिए। चौकोर दरवाजे सबसे शुभ माने जाते हैं, जिनकी लंबाई अधिक और चौड़ाई कम हो।
मुख्य द्वार की दिशा
मुख्य द्वार को दक्षिण-पश्चिम दिशा में नहीं होना चाहिए, क्योंकि यह अशुभ माना जाता है। सबसे शुभ दिशा पूर्व या उत्तर होती है।
मुख्य द्वार के दोनों ओर पेड़-पौधे लगाने से मां लक्ष्मी का प्रवेश होता है, जिससे घर में सकारात्मक ऊर्जा और समृद्धि बढ़ती है।