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मां शारदा देवी मंदिर: 1080 सीढ़ियों वाला शक्तिपीठ और नवरात्रि की भक्ति

मां शारदा देवी का मंदिर, जो मैहर में स्थित है, नवरात्रि के दौरान भक्तों के लिए एक प्रमुख स्थल बन जाता है। यहां 1080 सीढ़ियों का चढ़ाई करना एक अद्भुत अनुभव है। देवी शारदा को विद्या और ज्ञान की देवी माना जाता है, और इस मंदिर से जुड़ी पौराणिक कथाएं इसे विशेष महत्व देती हैं। जानें इस शक्तिपीठ की आस्था, मान्यता और यहां पहुंचने के मार्ग के बारे में।
 

मां शारदा देवी मंदिर, मैहर

मां शारदा देवी मंदिर, मैहर


Navratri 2025: शारदीय नवरात्र का आगाज़ होते ही देशभर में भक्ति का माहौल देखने को मिल रहा है। इन नौ पावन दिनों में देवी दुर्गा के विभिन्न रूपों की पूजा की जाती है। इस संदर्भ में, देवी शारदा का पवित्र स्थल, मैहर, श्रद्धालुओं के लिए एक महत्वपूर्ण स्थान है। नवरात्र के दौरान यहां भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है। इस वर्ष भी लाखों भक्तों के मैहर आने की उम्मीद है। इस शक्तिपीठ से माता सती की एक पौराणिक कथा जुड़ी हुई है, जो इसे विशेष धार्मिक महत्व प्रदान करती है।


आस्था और मान्यता का केंद्र


मध्य प्रदेश के मैहर ज़िले में त्रिकूट पर्वत पर स्थित मां शारदा देवी का यह मंदिर सनातन परंपरा में अत्यधिक महत्वपूर्ण है। देवी शारदा को विद्या, ज्ञान और बुद्धि की देवी माना जाता है। मान्यता है कि जो भक्त सच्चे मन से मां की पूजा करते हैं, उनकी सभी इच्छाएं पूरी होती हैं और उनका जीवन सुख-समृद्धि से भर जाता है। यह मंदिर 108 शक्तिपीठों में से एक है। कहा जाता है कि यहां माता सती का हार गिरा था, जिससे इस स्थान का नाम 'मैहर' पड़ा, जिसका अर्थ है 'मां का हार'। यह मंदिर धार्मिक महत्व के साथ-साथ अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए भी प्रसिद्ध है।


मंदिर तक पहुंचने का मार्ग


मैहर देवी का मंदिर त्रिकूट पर्वत की चोटी पर स्थित है। भक्तों को मां के दर्शन के लिए 1080 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं, जो एक अद्भुत और पवित्र अनुभव है। यह मार्ग भक्तों की आस्था और समर्पण को दर्शाता है। जो श्रद्धालु सीढ़ियां नहीं चढ़ सकते, उनके लिए रोपवे की सुविधा उपलब्ध है, जिसका किराया लगभग ₹170 है। यह सुविधा भक्तों को आसानी से और जल्दी मंदिर तक पहुंचने में मदद करती है। मैहर रेलवे स्टेशन से मंदिर की दूरी लगभग 6 से 12 किलोमीटर है, जहां ऑटो और ई-रिक्शा जैसी सुविधाएं भी उपलब्ध हैं।


क्यों है यह मंदिर विशेष?


मां शारदा देवी को देवी सरस्वती का अवतार माना जाता है और यहां उन्हें विद्या और ज्ञान की देवी के रूप में पूजा जाता है। यह मंदिर न केवल आस्था का केंद्र है, बल्कि एक पवित्र तीर्थ स्थल के रूप में भी प्रसिद्ध है। नवरात्रि के दौरान यहां आने वाले भक्तों के लिए यह अनुभव आध्यात्मिक यात्रा और भक्ति का अद्भुत संगम साबित होता है। हर साल की तरह इस बार भी मंदिर में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ने की संभावना है।