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भगवान विष्णु और कसाई सदन की अद्भुत कथा

यह कहानी भगवान विष्णु और एक कसाई सदन की है, जिसने शालिग्राम को मांस तौलने के लिए इस्तेमाल किया। साधु की चेतावनी के बाद, सदन ने अपने जीवन को भगवान की सेवा में समर्पित कर दिया। जानें कैसे इस अद्भुत कथा ने सदन के जीवन को बदल दिया और उसे भगवान के प्रति प्रेम में डुबो दिया।
 

शालिग्राम का महत्व


शालिग्राम को भगवान विष्णु का प्रतीक माना जाता है, जो नेपाल की काली गंडकी नदी से प्राप्त होते हैं। यहां, शालिग्राम की पूजा श्री हरि के रूप में की जाती है। हालांकि, एक व्यक्ति ने इसे मांस तौलने के लिए इस्तेमाल करना शुरू कर दिया, लेकिन भगवान ने उससे नाराज नहीं होकर उसके प्रति प्रेम बनाए रखा।


कसाई सदन की कहानी

एक गांव में सदन नाम का एक कसाई रहता था, जो अपने परिवार की परंपरा के अनुसार मांस बेचता था। एक दिन उसे एक गोल पत्थर मिला, जिसे उसने मांस तौलने के लिए इस्तेमाल करने का सोचा। उसे यह नहीं पता था कि वह पत्थर वास्तव में शालिग्राम है। वह कीर्तन करते हुए मांस तौलता रहा और उसकी आंखों से आंसू बहते रहे।


साधु की चेतावनी

एक दिन एक साधु वहां से गुजरे और देखा कि सदन शालिग्राम से मांस तौल रहा है। साधु ने उसे चेतावनी दी कि यह एक बड़ा पाप है। सदन ने अपनी गलती स्वीकार की और साधु ने शालिग्राम को अपने पास ले जाकर उसकी पूजा की।


भगवान का संदेश

रात को भगवान ने साधु को सपने में दर्शन दिए और कहा कि उसे सुबह सदन के पास छोड़ दिया जाए। साधु ने भगवान से पूछा कि वह वहां क्यों जाना चाहते हैं, तो भगवान ने कहा कि उन्हें सदन के साथ रहकर आनंद मिलता है।


सदन का परिवर्तन

सुबह साधु ने सदन को शालिग्राम लौटाया। सदन ने भगवान के प्रति प्रेम देखकर अपनी दुकान बेच दी और अपने जीवन को भगवान की सेवा में समर्पित कर दिया। उसने जगन्नाथपुरी की ओर यात्रा शुरू की, यह सोचकर कि वह भगवान से मिलने के लिए तड़प रहा है।