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बुधवार को गणेश जी की आरती: हर विघ्न को दूर करने का उपाय

गणेश जी की आरती बुधवार के दिन विशेष रूप से की जाती है, जो भक्तों के लिए विघ्नों को दूर करने का एक महत्वपूर्ण उपाय है। इस दिन भगवान गणेश की पूजा विधिपूर्वक की जाती है। आरती के बोल और मंत्र जानकर आप भी इस दिन गणेश जी को प्रसन्न कर सकते हैं। पढ़ें पूरी जानकारी और आरती के बोल।
 

गणेश जी की आरती

गणपति की आरती

गणेश जी की आरती के बोल: हिंदू धर्म में हर दिन किसी न किसी देवी-देवता को समर्पित किया जाता है। जैसे रविवार सूर्य देव को और सोमवार भगवान शिव को। इसी प्रकार, बुधवार का दिन भगवान गणेश को समर्पित है। यह दिन गणेश जी की कृपा प्राप्त करने का विशेष अवसर माना जाता है। भक्त इस दिन विधिपूर्वक गणेश जी की पूजा करते हैं और व्रत भी रखते हैं। यदि आप भी इस दिन गणेश जी को प्रसन्न करना चाहते हैं, तो उनकी आरती अवश्य करें। धार्मिक मान्यता है कि इस आरती से गणपति बप्पा की विशेष कृपा प्राप्त होती है। आइए, पढ़ते हैं बुधवार की आरती।

गणेश जी की आरती (Ganesh ji ki aarti)

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।

माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥

एक दंत दयावंत, चार भुजा धारी।

माथे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी॥

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।

माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥

पान चढ़े फल चढ़े, और चढ़े मेवा।

लड्डुअन का भोग लगे, संत करें सेवा॥

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।

माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥

अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया।

बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया॥

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।

माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥

‘सूर’ श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा।

माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।

माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥

दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी।

कामना को पूर्ण करो, जाऊं बलिहारी॥

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।

माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥

भगवान गणेश की जय, पार्वती के लल्ला की जय

आरती के बाद कौन सा मंत्र बोलें?

वक्रतुंड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ।

निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥